जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, सरकार ने कहा- सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा शुरू करने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। याचिका में तर्क दिया गया कि लॉकडाउन के बीच जरूरी काम के लिए 4 जी इंटरनेट सेवा शुरू की जानी चाहिए। वहीं, सरकार की ओर से कहा गया कि इंटरनेट का फैसला देश की सुरक्षा से जुड़ा है। ऐसे मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए।
जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन-जजों की पीठ ने कहा कि वह मामले में सभी मुद्दों पर विचार कर रही है और इसके लिए मामले में किसी अतिरिक्त सामग्री की आवश्यकता नहीं है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि देश की सुरक्षा पहले है। जिसमें कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। 4जी इंटरनेट शुरू नहीं किया जा सकता। हर दिन आतंकवादी भारत में घुसपैठ कर रहे हैं। आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ाना देने वाले भड़काऊ सामग्री, फर्जी खबर, फोटो और वीडियो क्लिप के प्रसारण से जनता को उकसाने के लिए इंटरनेट का दुरुपयोग होने की आशंका है।
दुश्मनों को सैनिकों की गतिविधियों की हो जाती है जानकारी
वेणुगोपाल ने कहा कि यह जम्मू-कश्मीर की पूरी आबादी की जान की सुरक्षा के बारे में है, न कि सिर्फ कोविड-19 मरीजों के लिए। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को देश में धकेला जा रहा है। कल, कुछ दुखद घटनाएं भी हुईं। ये लोग आसानी से टुकड़ी की हरकतों का वीडियो ले सकते थे। दुश्मन को सैनिकों की गतिविधियों का पता चल सकता है, अगर उनके पास 4 जी हो तो"।
पढ़ाई और डाक्टरों से सलाह के लिए जरूरीः याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील हुजेफा अहमदी ने दलील दी कि मौजूदा 2जी सर्विस के चलते बच्चों की पढ़ाई, कारोबार में दिक्कत आ रही है। कोरोना महामारी के बीच लोग वीडियो कॉल के जरिये डॉक्टरों से ज़रूरी सलाह नहीं ले पा रहे। इंटरनेट के जरिये डॉक्टरों तक पहुंचने के अधिकार, जीने के अधिकार के तहत आता है। लोगो को डॉक्टर तक पहुंचने से रोकना उन्हें आर्टिकल 19, 21 के तहत मिले मूल अधिकार से वंचित करना है।
'साांठगाठ के प्रमाण नहीं'
जस्टिस रमना ने कहा कि केंद्र सरकार दावा कर रही है कि आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि हुई है और उन्होंने 4 जी के माध्यम से सहयोग किया है। अहमदी ने यह कहते हुए विरोध किया कि 1990 के दशक में आतंकवादी गतिविधियाँ अधिक थीं, जब इंटरनेट नहीं था। अहमदी ने कहा कि केंद्र यह तर्क दे रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता है, लेकिन वे मामले में कोई प्रत्यक्ष सांठगांठ नहीं दिखा पाए हैं। वकील अहमदी ने कहा कि उन्हें एक सप्ताह के लिए इंटरनेट स्पीड खोलने दें और देखें कि क्या आतंकवाद के साथ कोई सांठगांठ है।
जम्मू कश्मीर में अभी हैं 2 जी सेवाएं
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवाएं बहाल करने के लिए दायर याचिका पर केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन से 27 अप्रैल तक जवाब देने को कहा था। बता दें कि पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हिंसक घटनाओं को रोकने लिए जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट और फोन सेवा पर पाबंदी लगा दी थी। तब से जम्मू-कश्मीर की जनता 4जी सेवा का लाभ नहीं उठा पा रही है। हालांकि इस जम्मू-कश्मीर में 2जी सेवा को बहाल कर दिया गया है।