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07 September 2018

एससी-एसटी कानून में नये संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर न्यायालय ने केन्द्र से मांगा जवाब

File Photo

सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी कानून में हुए बदलाव को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है तथा छह सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने संशोधित कानून पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि बिना केंद्र सरकार का पक्ष सुने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती।

सुप्रीम कोर्ट में कानून में संसद द्वारा किए गए बदलाव के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के आदेश को लागू किया जाए। एससी-एसटी संशोधित कानून में नए प्रावधान के लागू होने से फिर दलितों को सताने के मामले में तत्काल गिरफ्तारी होगी और अग्रिम जमानत भी नहीं मिल पाएगी। याचिका में नए कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि संसद के दोनों सदनों ने ‘मनमाने तरीके’ से कानून में संशोधन करने और इसके पहले के प्रावधानों को बहाल करने का ऐसे निर्णय किया ताकि निर्दोष व्यक्ति अग्रिम जमानत के अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सके।

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संसद ने इस कानून के तहत गिरफ्तारी के खिलाफ चुनिन्दा सुरक्षा उपाय करने संबंधी शीर्ष अदालत के निर्णय को निष्प्रभावी बनाने के लिये नौ अगस्त को विधेयक को मंजूरी दी थी। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम) संशोधन विधेयक लोकसभा में छह अगस्त को पारित हुआ था।

दुरुपयोग पर जताई थी चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए दिशा निर्देश जारी किये थे। कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत मिलने के बाद तुरंत मामला दर्ज नहीं होगा। डीएसपी पहले शिकायत की शुरुआती जांच करके पता लगाएगा कि मामला झूठा या दुर्भावना से प्रेरित तो नहीं है। इसके अलावा इस कानून में एफआईआर दर्ज होने के बाद अभियुक्त को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी से पहले सक्षम अधिकारी और सामान्य व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले एसएसपी की मंजूरी ली जाएगी। इतना ही नहीं कोर्ट ने अभियुक्त की अग्रिम जमानत का भी रास्ता खोल दिया था।

सरकार लाई थी संशोधन बिल

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कई दलित संगठनों ने मिलकर दो अप्रैल को भारत बंद किया था। इस दौरान देशभर में कई जगह हिंसा भी हुई थी और करीब एक दर्जन लोगों की जान चली गई थी। दलित संगठनों ने इस फैसले के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया था और 9 अगस्त तक संशोधन न होने पर फिर से आंदोलन करने की बात कही थी। जिसके बाद सरकार कानून को पहले की तरह रखने के लिए संसद में संशोधन बिल लाई थी।

 

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TAGS: SC, seeks, response, Centre, new amendments, SC-ST, Act
OUTLOOK 07 September, 2018
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