एससी-एसटी आरक्षण दस साल के लिए बढ़ा, एंग्लो इंडियन कोटे से अब नहीं होंगे सांसद
संसद और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाने वाला बिल मंगलवार को लोकसभा से पारित हो गया लेकिन इसमें एंग्लो-इंडियन के आरक्षण का प्रस्ताव शामिल नहीं किया गया है।
126वां संविधान संशोधन पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 296 एंग्लो इंडियन हैं। एंग्लो इंडियन के लिए एक प्रावधान भी है, आज इस बिल में इसे नहीं लाया गया, लेकिन इस पर विचार किया जाएगा। अभी इनके लिए दरवाजे बंद नहीं हुए हैं।
हर दशक पर बढ़ाया गया आरक्षण
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी और इसके 70 वर्षों के दौरान हर एक दशक पर आगे बढ़ाया गया। बिल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को दिए जाने वाले आरक्षण को 10 साल तक बढ़ाने का प्रावधान है। एंग्लो-इंडियन समुदाय, एससी, एसटी के लिए आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा है। आगे के दस वर्षों के लिए, यानी 25 जनवरी, 2030 तक सीटों के आरक्षण को बढ़ाने के लिए ये विधेयक है।
गुमराह करने का लगाया आरोप
चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के हिबी ईडेन ने कानून मंत्री पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि एंग्लों इंडियन की जो संख्या बताई गई है, वह सत्य नहीं है और कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि एंग्लो-इंडियन का देश के विकास में बड़ा योगदान रहा है और उनके लिए आरक्षण बरकरार रहना चाहिए। एंग्लो-इंडियन वर्ग के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक स्थिति का पता करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाना चाहिए।