बच्चों को खेल-खेल में विज्ञान सिखाने वाले प्रोफेसर यशपाल ने दुनिया को कहा अलविदा
प्रोफेसर यशपाल ने साल 1949 में पंजाब यूनिवर्सिटी से फिजिक्स से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने 1958 में मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनोलॉजी से फिजिक्स में ही पीएचडी की। यशपाल ने अपने करियर की शुरुआत टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से की थी।
Scientist and academician Padma Vibhushan Professor Yash Pal, 90, passes away at his residence in Noida. (File Pic) pic.twitter.com/2xHo3C49g6
— ANI UP (@ANINewsUP) July 25, 2017
साल, 1973 में सरकार ने उन्हें स्पेस एप्लीकेशन सेंटर का पहला डॉयरेक्टर नियुक्त किया गया। 1983-84 में वे प्लानिंग कमीशन के चीफ कंसल्टेंट भी रहे। केंद्र सरकार ने यशपाल को साल 1976 और 2013 में पद्म विभूषण से सम्मानित भी किया था।
बता दें कि यशपाल विज्ञान व तकनीकी विभाग में सचिव भी रहे। इसके अलावा उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी दी गई। यशपाल दूरदर्शन पर टर्निंग प्वाइंट नाम के एक साइंटिफिक प्रोग्राम को भी होस्ट करते थे। यशपाल का शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान रहा। वो शिक्षा में जरुरत से ज्यादा पढ़ाई करने के सख्त खिलाफ थे। इसलिए उन्होंने इस मुद्दे की ओर केंद्र सरकार का कई बार ध्यान आकर्षित किया, जिसके बाद उनकी कोशिशों का यही नतीजा निकला कि उनकी अध्यक्षता में बनी कमेटी द्वारा ‘लर्निंग विदाउट बर्डन’ नाम की एक रिपोर्ट तैयार की गई, जो शिक्षा के क्षेत्र के लिए बेहद प्रासंगिक थी।
शिक्षा के क्षेत्र में उनके रुझान और आइडियाज को देखते हुए साल 1986 से 1991 के बीच यशपाल को यूजीसी का चेयरमैन नियुक्त किया गया। साल 1970 में यशपाल के होशंगाबाद साइंस टीचिंग प्रोग्राम को खूब सराहना मिली।