अगर अधिसूचित नहीं तो दूसरे राज्य में नहीं मिलेगा एससी-एसटी आरक्षण का लाभः सुप्रीम कोर्ट

सरकारी नौकरी में एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि अगर अधिसूचित नहीं तो दूसरे राज्य में इसका लाभ नहीं मिलेगा। दिल्ली में आरक्षण केंद्रीय सूची के हिसाब से मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने यह फैसला देते हुए कहा कि एससी-एसटी के लिये आरक्षण का लाभ एक राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश की सीमा तक ही सीमित रहेगा। एक राज्य के अनुसूचित जाति या अनुसूचति जनजाति समूह के सदस्य दूसरे राज्य के सरकारी नौकरी में आरक्षण लाभों का तब तक दावा नहीं कर सकते जब तक उनकी जाति वहां अधिसूचित नहीं हो।
बदलाव का अधिकार संसद पर
पीठ ने कहा कि राज्य सरकार एससी-एसटी की सूची में खुद से बदलाव नही कर सकती बल्कि यह राष्ट्र्पति के अधिकार के दायरे में है। राज्य सरकार संसद की अनुमति से ही सूची में बदलाव कर सकता है। अनुच्छेद 341 में एससी और अनुच्छेद 342 के तहत जिसमें एसटी समुदाय के लिए जो मौजूदा व्यवस्था है उसमें कोर्ट भी किसी तरह का बदलाव नहीं कर सकती है।
होना चाहिए विचार
सुप्रीम कोर्ट के सामने सवाल था कि क्या एक राज्य का व्यक्ति जो वहां अनुसूचित जाति में है, दूसरे राज्य में अनुसूचित जाति में मिलने वाले आरक्षण का लाभ ले सकता है या नहीं? कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली में एससी-एसटी के लिए अखिल भारतीय स्तर पर आरक्षण का नियम विचार करने योग्य होगा।