नाबालिग यौन उत्पीड़न मामला: दिल्ली सरकार के अधिकारी, पत्नी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया
दिल्ली तीस हज़ारी कोर्ट के 'यौन अपराधों से बच्चों का विशेष संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो)' न्यायाधीश ने नाबालिग से यौन उत्पीड़न मामले में बुधवार को दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा और पत्नी सीमा रानी को छह सितंबर तक 14 दिन को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी पर अपने मृत दोस्त की नाबालिग बेटी के साथ महीनों तक दुष्कर्म करने का आरोप है, जिसके परिणामस्वरूप वह गर्भवती हो गई। इससे पहले सोमवार को, दिल्ली पुलिस ने सरकारी अधिकारी और उसकी पत्नी को इस मामले में गिरफ्तार किया था।
पुलिस के अनुसार, अपने पिता, जो दिल्ली सरकार के कर्मचारी भी थे, की मृत्यु के बाद नाबालिग लड़की अक्टूबर 2020 से फरवरी 2021 तक बुराड़ी में आरोपी के साथ रही। आरोपों को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को आरोपी अधिकारी को जांच लंबित रहने तक निलंबित कर दिया।
आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया, "केंद्रीय सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1965 के नियम 10 के उप-नियम (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, प्रेमोदय खाखा, सहायक निदेशक को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।"
पुलिस उपायुक्त (उत्तर) सागर सिंह कलसी ने सोमवार को कहा कि मामले में आगे की जांच चल रही है। इसी बीच, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने बुधवार को दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजकर आरोपियों का विवरण मांगा।
उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या शिकायतकर्ता द्वारा नामित सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और 164 सीआरपीसी के तहत पीड़िता का बयान दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस ने क्या कदम उठाए हैं। उन्होंने मामले में की गई विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट भी मांगी।
डीसीडब्ल्यू द्वारा जारी नोटिस में कहा गया, "आयोग को यह भी बताया गया कि अब तक पीड़िता का 164 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज नहीं किया गया है। लड़की फिलहाल बेहद गंभीर हालत में सरकारी अस्पताल में भर्ती है।"
मालीवाल उस अस्पताल में धरने पर बैठ गईं जहां नाबालिग भर्ती है, उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें उससे मिलने की अनुमति नहीं दी गई। स्वाति मालीवाल ने दिल्ली पुलिस पार उपद्रव का आरोप लगाते हुए पूछा कि जब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष की मुलाकात पीड़िता की मां से हो गई तो उन्हें नाबालिग या उसके परिजनों से मिलने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही थी।