Advertisement
08 May 2025

शरजील इमाम ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा, उमर खालिद सहित सह-आरोपियों से है ‘‘पूरी तरह से अलग’’

file photo

फरवरी 2020 के दंगों के एक मामले में आरोपी कार्यकर्ता शरजील इमाम ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में दलील दी कि वह घटना स्थल, समय और उमर खालिद सहित सह-आरोपियों से ‘‘पूरी तरह से अलग’’ है। इमाम के वकील ने न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिन्दर कौर की पीठ से उनकी जमानत याचिका पर निर्णय करते समय "करुणा" दिखाने का आग्रह किया। इस मामले पर 21 मई को सुनवाई नहीं होगी।

वकील ने कहा कि उनके भाषणों और व्हाट्सएप चैट में कभी भी किसी अशांति का आह्वान नहीं किया गया। इमाम के वकील ने कहा, "इस लड़के ने लगातार पांच साल से अधिक समय हिरासत में बिताया है। वह (परिवार का) कमाने वाला है। उसकी एक बूढ़ी बीमार मां है और पिता नहीं है।"

वकील ने दोहराया कि वह 15 जनवरी, 2020 के बाद से राजधानी में भी नहीं थे और उन्हें पुलिस ने 28 जनवरी, 2020 को एक अलग मामले में बिहार में उनके गृहनगर से गिरफ्तार किया था। उन्होंने तर्क दिया कि परिणामस्वरूप इमाम ने अन्य लोगों के साथ किसी भी "षड्यंत्रकारी" बैठक में भाग नहीं लिया।

Advertisement

जबकि अभियोजन पक्ष का षड्यंत्र का मामला आरोपी व्यक्तियों के बीच आदान-प्रदान किए गए संदेशों पर आधारित था, इमाम के वकील ने उनके साथ चैटिंग से इनकार करते हुए कहा कि वह कथित मुख्य व्हाट्सएप ग्रुप में नहीं थे, जहां चक्का जाम (यातायात व्यवधान) पर चर्चा की गई थी।

वकील ने कहा कि इमाम जिस व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा था, उसमें ऐसा कोई संदेश नहीं था जो "दूर से भी हिंसा भड़काने वाला" हो। वकील ने कहा, "ऐसा एक भी संदेश नहीं दिखाया गया जिससे पता चले कि एक समुदाय दूसरे के खिलाफ खड़ा है... हिंसा के एक सबूत बनाम अहिंसा के 40 सबूतों ने अभियोजन पक्ष के मामले को ध्वस्त कर दिया।"

वकील ने तर्क दिया कि हालांकि एक गवाह ने आरोप लगाया था कि वह "उमर खालिद और कुछ अन्य आरोपियों से संबंधित है", लेकिन इमाम का ऐसा कोई संबंध नहीं है। इमाम के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल पर पहले से ही देशद्रोह और घृणास्पद भाषण के आरोप वाले अलग-अलग मामलों में मुकदमा चल रहा था, जिसमें उन्हें जमानत मिल गई थी। उन्होंने कहा कि न्यायिक निर्णयों में पाया गया है कि उनके भाषणों के बाद कोई हिंसा नहीं हुई।

पुलिस के इस मामले के संबंध में कि उन्होंने शाहीन बाग विरोध स्थल का मुद्दा उठाया, वकील ने तर्क दिया कि इमाम ने 2 जनवरी, 2020 को उपद्रवियों की संलिप्तता की आशंका के चलते खुद को साइट से दूर कर लिया था और वर्तमान मामले को दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई हिंसा के साथ "मिलाना" नहीं चाहिए।

उमर खालिद, इमाम और कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के दंगों के कथित तौर पर "मास्टरमाइंड" होने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गए थे। सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी। इस मामले में इमाम को 25 अगस्त 2020 को गिरफ्तार किया गया था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
OUTLOOK 08 May, 2025
Advertisement