सिद्धू बोले, बेहतर पंजाब के लिए उनका मोर्चा किसी के भी साथ गठबंधन को तैयार
गत 8 सितंबर को सिद्धू ने 'आवाज-ए-पंजाब' मोर्चे की घोषणा की थी। हालांकि, तब यह तय नहीं था कि यह पार्टी बनेगी या मोर्चे तक सीमित रहेगी। कई राजनीतिक विश्लेषक इसे सिद्धू का मास्टर स्ट्रोक बता रहे थे। हालांकि, भाजपा से इस्तीफा देने के बाद सिद्धू का झुकाव 'आप' की तरफ था। इस बीच कभी-कभी कांग्रेस के साथ बातचीत के भी उनके आसार बने। लेकिन जब बात नहीं बनी तो उन्होंने अलग मोर्चा बनाने की घोषणा कर दी।
गौर हो कि पंजाब के राजनीतिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं। आवाज-ए-पंजाब परगट सिंह, बैंस बंधुओं और सिद्धू के लिए बड़ी सफलता की गारंटी बनकर उभर सकता है। आम आदमी पार्टी से कोई पक्का आश्वासन नहीं मिलने और भाजपा में वापसी के रास्ते बंद होने के बाद सिद्धू के लिए एक विकल्प कांग्रेस था। लेकिन वहां पर बड़े नेता पहले से ही मौजूद हैं। इसके बाद एक ही विकल्प बचा था जिसका परिणाम है आवाज-ए-पंजाब। इसमें अकाली दल से निकले पूर्व हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह, अकाली दल से लड़ने वाले बैंस बंधू शामिल हो चुके हैं।
कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि बागी 'आप' सांसदों हरिंद्र सिंह खालसा और धर्मवीर गांधी, जगमीत सिंह बराड़ा, वीर दविंद्र सिंह सहित अन्य और बागी नेता भी इसमें शामिल हो सकते हैं।