अतीक अहमद की बहन ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा, पुलिस कस्टडी में भाई की मौत पर उठाए सवाल
गैंगस्टर से माफिया और फिर नेता बने अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में मौत की जांच की मांग को लेकर बहन आयशा नूरी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और एक याचिका दायर कर शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग के गठन की मांग की है।
याद दिला दें कि अप्रैल में मीडिया वार्ता के दौरान खुद को पत्रकार बताने वाले तीन लोगों ने अतीक अहमद (60) और उनके भाई अशरफ को गोली मार दी थी। इस समय पुलिसकर्मी उन्हें प्रयागराज के एक मेडिकल कॉलेज ले जा रहे थे। आयशा नूरी ने याचिका में अपने परिवार को निशाना बनाकर कथित तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे "मुठभेड़ हत्याओं, गिरफ्तारियों और उत्पीड़न के अभियान" की एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा व्यापक जांच की भी मांग की है।
याचिका में कहा गया, "याचिकाकर्ता, जिसने 'राज्य-प्रायोजित हत्याओं' में अपने भाइयों और भतीजे को खो दिया है, संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत तत्काल रिट याचिका के माध्यम से इस अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए बाध्य है, जिसमें एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति या वैकल्पिक रूप से एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा 'अतिरिक्त-न्यायिक' हत्याओं के अभियान में व्यापक जांच की मांग की गई है।"
याचिका के माध्यम से आरोप लगाया गया है कि प्रतिवादी-पुलिस अधिकारी उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्ण समर्थन का आनंद ले रहे हैं, जिसने उन्हें प्रतिशोध के तहत याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों को मारने, अपमानित करने, गिरफ्तार करने और परेशान करने की पूरी छूट दे दी है। याचिकाकर्ता का दावा है कि उन्हें और उनके परिवार पर खामोश रहने का दबाव है और उन्हें "एक-एक करके झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है"।
याचिकाकर्ता की मांग है कि जांच एक स्वतंत्र एजेंसी को करनी चाहिए, जो "उच्च-स्तरीय राज्य एजेंटों द्वारा निभाई गई भूमिका का मूल्यांकन कर सके जिन्होंने याचिकाकर्ता के परिवार को लक्षित करने वाले अभियान की योजना बनाई और उसे संचालित किया"। बता दें कि शीर्ष अदालत वर्तमान में वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर एक अलग याचिका पर विचार कर रही है, जिसमें अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है।
ज्ञात हो कि 28 अप्रैल को तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल पूछे थे। कोर्ट ने कहा था कि आखिर प्रयागराज में पुलिस हिरासत में मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाते समय अतीक अहमद और अशरफ को मीडिया के सामने क्यों पेश होने दिया गया था। सरकारी वकील ने कहा था कि घटना की जांच जारी है और इसके लिए तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से घटना के बाद उठाए गए कदमों पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
बता दें कि तिवारी ने अपनी याचिका में साल 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में हुई 183 मुठभेड़ों की जांच की भी मांग की है।