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19 January 2018

सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामलाः वकीलों ने सीबीआई के खिलाफ दायर की जनहित याचिका

file photo

मुंबई लॉयर्स एसोसिएशन ने सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में अमित शाह के बरी किए जाने के फैसले को चुनौती नहीं दिए जाने पर सीबीआई के खिलाफ मुंबई हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।

मालूम हो कि 2014 में मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई जज बृजगोपाल लोया की मृत्यु के बाद आए जज ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बिना मुकदमे के बरी कर दिया था जिसके खिलाफ सीबीआई ने आज तक अपील नहीं की है। गुजरात के इस चर्चित मामले में शाह के अलावा गुजरात पुलिस के कई आला अफसरों के नाम आए थे।

जनहित याचिका में एसोसिएशन ने हाई कोर्ट से सीबीआई को निर्देश देने की मांग की है कि सत्र न्यायालय के शाह के बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी दाखिल करे। याचिका दायर करने वाले वकील अहमद आबिदी ने कहा है कि 22 जनवरी को जस्टिस एस सी धर्माधिकारी और भारती डांगरे की डिवीजन बेंच के सामने इस मामले में दलील पेश करेंगे। याचिका में कहा गया है कि मामले में सीबीआई प्रमुख जांच एजेंसी है। उसका कर्तव्य है कि वह कानून के अनुसार काम करे लेकिन वह इसमें नाकाम रही है। ट्रायल अदालत इसी तरह राजस्थान के दो पुलिस सब इंस्पेक्टरों हिमांशु सिंह और श्याम सिंह तथा गुजरात के वरिष्ठ पुलिस अफसर एऩ के आमीन को बरी कर चुकी है। याचिकाकर्ता को पता चला है कि सीबीआई ने बरी किए अभियुक्तों के खिलाफ सलेक्टिव आधार पर हाईकोर्ट में चुनौती दी है और उसकी यह कार्रवाई एकपक्षीय, गैर-तार्किक और दुर्भावनापूर्ण है। जब सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से यह मामला गुजरात से मुंबई ट्रांसर्फर किया था तो इसे जल्द निपटारे के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को हाई कोर्ट की प्रशासकीय समिति को सौंपा था ताकि न्यायिक आधार पर निपटाया जा सके।

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मालूम हो कि आरोप है कि नवंबर 2005 में गुजरात के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने सोहराबुद्दीन शेख़ और उसकी पत्नी कौसर बी. का हैदराबाद से उस समय अपहरण कर लिया था जब वे महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे। सोहराबुद्दीन के साथ उसका सहयोगी तुलसी प्रजापति भी था। आरोप के अनुसार, सोहराबुद्दीन को गांधीनगर के नज़दीक कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारा गया था। इसके बाद उसकी पत्नी लापता हो गई थी और ऐसा माना गया कि उसे भी मार दिया गया है। आरोप था कि गैंगस्टर के सहयोगी और मुठभेड़ के प्रत्यक्षदर्शी तुलसी प्रजापति को पुलिस ने दिसंबर 2006 में गुजरात के बनासकांठा ज़िले में चप्री गांव के पास मार दिया था। सुप्रीम कोर्ट 2013 में प्रजापति के कथित फर्ज़ी मुठभेड़ मामले को सोहराबुद्दीन के मामले के साथ जोड़ दिया था। जज लोया इसी मामले की सुनवाई कर रहे थे। एक दिसंबर 2014 को उनकी नागपुर में हुई थी, जिसकी वजह दिल का दौरा पड़ना बताया गया था। वे नागपुर अपनी सहयोगी जज स्वप्ना जोशी की बेटी की शादी में गए हुए थे। परिजनों ने मौत को लेकर कई सवाल खड़े किए थे।.

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TAGS: sohrabuddin, PIL, CBI, amit shah, discharge, सोहराबुद्दीन, जनहित याचिका, लायर्स एसोसिएशन
OUTLOOK 19 January, 2018
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