मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में फैसला सुनाने वाले जज ने दिया इस्तीफा
सोमवार को 2007 के हैदराबाद की मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में NIA का फैसला आया। इसमें असीमानंद समेत 5 आरोपियों को बरी कर दिया गया। एएनआई के मुताबिक, ये फैसला देने वाले स्पेशन एनआईए जज रविंदर रेड्डी ने इस्तीफा दे दिया है।
इससे पहले अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। इसमें मुख्य आरोपियों में से एक स्वामी असीमानंद को भी अदालत ने बरी कर दिया था। भारत मोहन लाल रतेश्वर, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी को भी अदालत ने बरी कर दिया। इस मामले की सुनवाई के दौरान 54 गवाह बयान से मुकर गए थे।
Special NIA judge Ravindra Reddy who delivered the #MeccaMasjidVerdict resigns. pic.twitter.com/ybxV2lHoAD
— ANI (@ANI) April 16, 2018
कब हुआ था धमाका?
18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान हैदराबाद की मक्का मस्जिद में एक ब्लास्ट हुआ था। इस धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 58 लोग घायल हुए थे। इस घटना के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए हवाई फायरिंग की थी, जिसमें पांच और लोग मारे गए थे। इस घटना में 160 चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे।
ये थे आरोपी
जांच के बाद इस घटना को लेकर 10 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें अभिनव भारत के सभी सदस्य शामिल थे। स्वामी असीमानंद सहित, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा उर्फ अजय तिवारी, लक्ष्मण दास महाराज, मोहनलाल रतेश्वर और राजेंद्र चौधरी को मामले में आरोपी घोषित किया गया था। दो आरोपी रामचंद्र कालसांगरा और संदीप डांगे अभी फरार हैं। एक प्रमुख अभियुक्त और आरएसएस के कार्यवाहक सुनील जोशी को जांच के दौरान ही गोली मार दी गई थी।
कौन है स्वामी असीमानंद
स्वामी असीमानंद एक पूर्व आरएसएस कार्यकर्ता थे। उन्हें मक्का मस्जिद विस्फोट के सिलसिले में 19 नवंबर, 2010 को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने लिखित तौर पर कहा था कि अभिनव भारत के कई सदस्यों ने मस्जिद में बम विस्फोट की साजिश रची थी। बाद में स्वामी असीमानंद को 23 मार्च 2017 को जमानत दे दी गई।
असीमानंद को अजमेर ब्लास्ट केस में पहले से ही बरी कर दिया गया था। साथ ही मालेगांव और समझौता धमाके में भी उन्हें पहले ही जमानत दी जा चुकी है।