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07 March 2017

अध्यात्म भारत की ताकत है : मोदी

पीआईबी

मोदी ने कहा कि विश्व भारत की तुलना उसकी आबादी, जीडीपी या रोजगार दर के आधार पर करता है लेकिन दुनिया ने भारत के अध्यात्म को न कभी जाना और न ही उसे मान्यता दी। उन्होंने कहा,  अध्यात्म भारत की ताकत है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कुछ लोग अध्यात्म को धर्म से जोड़ देते हैं। अध्यात्म और धर्म दोनों एक दूसरे से अलग हैं।

प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में योगी परमहंस की प्रशंसा की जो अपने संदेश के प्रसार के लिए भारत से बाहर गए लेकिन सदैव भारत से जुड़े रहे। उल्लेखनीय है कि परमहंस ने 1917 में वाईएसएस की स्थापना की थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर एक विशेष डाक टिकट जारी किया। मोदी ने इस अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के शब्दों का स्मरण किया जिसमें उन्होंने महसूस किया था कि अध्यात्म भारत की ताकत है और यह प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए।

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उन्होंने कहा कि देश के आध्यात्म को हमारे साधु, संतों ने मजबूती प्रदान की। मोदी की यह टिप्पणी इस बात की पृष्ठभूमि में सामने आई है जिसमें इस बात को लेकर बहस चल रही है कि कुछ राजनीतिक दल विशेष तौर पर चुनाव के दौरान समाज का ध्रुवीकरण करने का प्रयास करते हैं।

योग के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह अध्यात्म की दुनिया में प्रवेश का सीधा मार्ग है। उन्होंने कहा,  योग अध्यात्म की दुनिया में जाने का प्रवेश बिन्दु है। योग अध्यात्म की यात्रा का प्रवेश बिन्दु है। किसी को भी इसे अंतिम बिन्दु नहीं मानना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा,  जब किसी व्यक्ति की योग में रूचि हो जाती है और वह ठीक ढंग से उसका अभ्यास करना शुरू करता है, यह हमेशा उसके जीवन का हिस्सा बना रहता है।

मोदी ने योगी जी के दिखाये मार्ग को याद करते हुए कहा कि यह मुक्ति के संबंध में नहीं बल्कि अंतरयात्रा के संबंध में था।

उन्होंने कहा कि परमहंस का क्रिया योग मानव शरीर के भीतर की जीवन ऊर्जा के प्रवाह को सक्रिय बनाता है।

परमहंस के अंतिम शब्दों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी शिक्षा मानवीय मूल्यों और सभी के प्रति करूणा के भाव से परिपूर्ण है।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री को एक स्मारिका भेंट की गई जिसमें योगी के अंतिम शब्द दर्ज हैं।

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TAGS: India, spirituality, strength, Prime Minister, Narendra Modi, Yogoda Satsanga Society
OUTLOOK 07 March, 2017
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