Advertisement
31 March 2017

सुप्रीम कोर्ट का अयोध्या विवाद में शीघ्र सुनवाई से इनकार

google

अदालत ने कहा कि इसके कारण प्रधान न्यायाधीश ने पक्षकारों के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश की थी। पीठ ने कहा कि आपने हमें यह नहीं बताया कि इस मामले में आप एक पक्षकार नहीं हैं, हमें यह बात प्रेस के जरिए पता चली।

इस पर भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह पूजा करने के अपने मूलभूत अधिकार से इस मामले में जुड़े हैं। स्वामी ने कहा कि लंबित पड़े मामलों से मेरा पूजा का अधिकार प्रभावित हो रहा है और मैंने हस्तक्षेप याचिका दायर की है। इस पर पीठ ने कहा कि वह इस मामले की त्वरित सुनवाई नहीं करेगी।

इससे पहले 21 मार्च को शीर्ष न्यायालय ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को हल करने के लिए न्यायालय से बाहर मामला सुलझाने का यह कहते हुए सुझाव दिया था कि धर्मों और भावनाओं से जुडे़ मसले को बातचीत के जरिए अच्छी तरह से सुलझाया जा सकता है। प्रधान न्यायाधीश ने इस मामले में मध्यस्थ बनने की भी पेशकश की थी हालांकि उनकी अगुवाई वाली पीठ ने सुझाव दिया था कि विवाद के पक्षकार इस मामले के हल के लिए सार्थक और गंभीर बातचीत के वास्ते थोड़ दो और थोड़ा लो वाला रवैया अपनाएं।

Advertisement

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 2010 में 2.77 एकड़ भूमि को तीन हिस्से में बांटने का आदेश दिया था। न्यायालय के समक्ष इस बात पर विवाद है कि 2.7 एकड़ की विवादित भूमि जिस पर ढहाए जाने से पहले बाबरी मस्जिद थी, वह सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की है अथवा अखिल भारत हिंदू महासभा की। (एजेंसी)

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: राम जन्मभूमि, बाबरी मस्जिद, सुप्रीम कोर्ट, अयोध्या, विवाद, शीघ्र, सुनवाई, इनकार
OUTLOOK 31 March, 2017
Advertisement