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14 February 2020

1984 सिख दंगा मामला: उम्रकैद की सजा काट रहे सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली अंतरिम राहत

File Photo

1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में दायर जमानत याचिका पर गर्मी की छुट्टियों में सुनवाई करेगा।

बता दें, पूर्व कांग्रेस नेता को दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 दिसंबर 2018 को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इससे पहले इसी मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कांग्रेस के पार्षद बलवान खोखर को सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह के परोल पर बीते 15 जनवरी को रिहा कर किया था। अदालत ने यह परोल उनके पिता की मृत्यु के कारण दी थी।

‘सबरीमला मामले के बाद करेंगे विचार’

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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबडे, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्य कांत की पीठ ने यह भी कहा कि वह सबरीमला मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद सज्जन कुमार की स्वास्थ्य स्थिति पर ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से मेडिकल रिपोर्ट पर विचार करेगी।

इस मामले में ठहराए गए थे दोषी

पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को नवंबर 1984 को दिल्ली छावनी के राज नगर पार्ट-1 इलाके में पांच सिखों की हत्या और राज नगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारे को जलाने से संबंधित मामले में दोषी ठहराया गया था। 31 अक्टूबर 1984 को दो सिख अंगरक्षकों द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे।  

एसआईटी ने उठाए थे सवाल

पिछले महीने सिख विरोधी दंगों में जस्टिस ढींगरा की अगुवाई में गठित की गई विशेष जांच दल (एसआईटी) ने रिपोर्ट में खुलासा किया था कि पुलिस व प्रशासन ने दोषियों की सजा दिलाने की नीयत से कानूनी कार्रवाई नहीं की। आगे कहा गया कि इस मामले में घटित घटना व अपराध के अनुसार एफआईआर दर्ज नहीं की गई।   सुल्तानपुरी थाने में दर्ज एफआईआर संख्या 268/84 में हत्या, आगजनी और लुट की 498 घटनाएं दर्ज की गई। सवाल उठाया कि एक जांच अधिकारी 500 घटनाओं की जांच कैसे कर सकता था? पुलिस को एसटीएफ बनानी चाहिए थी।     

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TAGS: Supreme Court, refuses interim relief, Sajjan Kumar, 1984 anti-Sikh riots case
OUTLOOK 14 February, 2020
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