सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुफ्त हो कोरोना की जांच, केंद्र सरकार जारी करे निर्देश
देश में कोविड-19 मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसे देखते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ है कि नहीं, इसकी जांच निजी या सरकार द्वारा एप्रव्डू लैब में मुफ्त की जानी चाहिए। कोर्ट ने इस बारे में केंद्र सरकार को कहा कि वह एप्रूव्ड लैब्स को मुफ्त जांच के लिए निर्देश जारी करे। यह जांच डब्ल्यूएचओ या आइसीएमआर या एनएबीएल से मान्यता प्राप्त लैब में हो।
केंद्र सरकार ने 21 मार्च को निजी प्रयोगशालाओं को प्रत्येक कोविड-19 जांच के लिए अधिकतम 4,500 रुपये शुल्क लेने की हिदायत दी थी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ओर से कोविड-19 जांच के मद्देनजर निजी प्रयोगशालाओं के लिए जारी दिशानिर्देश के अनुसार, एनएबीएल प्रमाणित सभी निजी प्रयोगशालाओं को यह जांच करने की अनुमति दी गई।
'तेजी से बढ़ रही है मृत्यु दर'
शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय संकट की घड़ी में महामारी को रोकने में लैब्स और निजी अस्पतालों की महत्वपूर्ण भूमिका है। कोर्ट ने कहा कि 11 मार्च को डब्ल्यूएचओ द्वारा COVID-19 को महामारी घोषित किए जाने से पहले भी यह कई देशों में फैल चुका था और अब तक 200 से अधिक देश इस महामारी से पीड़ित हैं। पीठ ने कहा कि कोविड-19 से पीड़ित मरीजों की संख्या दुनिया भर में तेजी से बढ़ती जा रही है, जिससे मृत्युदर तेजी से बढ़ रही है। हमारे देश में, भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकार या केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के बावजूद, मरीजों और इसके कारण होने वाली मौतों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।
पैसे लौटाने की भी करें व्यवस्था
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सुझाव दिया कि कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की पहचान के लिए होने वाला हर टेस्ट मुफ्त में किया जाए। जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने केंद्र से कहा कि ऐसा तंत्र भी विकसित कीजिए, जिससे टेस्ट के लिए लोगों से ज्यादा फीस ली जाए, तो उसे सरकार वापस लौटाए। केंद्र ने पीठ को बताया कि देशभर में 118 लैब में रोजाना 15 हजार टेस्ट किए जा रहे हैं और हम इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए 47 प्राइवेट लैब को भी जांच की मंजूरी दे रहे हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि डॉक्टर हमारे कोरोना वॉरियर्स हैं, उन्हें सुरक्षा दी जा रही है।
वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई सुनवाई
याचिकाकर्ता की इस पिटीशन पर शीर्ष कोर्ट द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की गई। याचिकाकर्ता का कहना था कि लॉकडाउन की वजह से पहले ही लोग आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। लिहाजा जांच महंगी होने की वजह से लोग इसे कराने से बचेंगे इससे बीमारी और फैल सकती है। ऐसे में सरकार को सभी की जांच मुफ्त कराना चाहिए।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल को सुझाव दिया और कहा कि निजी लैब को ज्यादा पैसे न लेने दें। आप टेस्ट के लिए सरकार से रिइंबर्स कराने के लिए एक प्रभावी तंत्र बना सकते हैं। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस मामले को देखेगी और जो भी इसमें अच्छा किया जा सकता है उसे करने की कोशिश करेगी।