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14 January 2019

1984 सिख दंगा मामले में सज्जन कुमार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया CBI को नोटिस

 

सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट अब छह सप्ताह के बाद सुनवाई करेगा। कोर्ट ने सज्जन की अपील पर सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सज्जन कुमार ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसके कौल की बेंच मामले की सुनवाई की।

हाईकोर्ट के फैसले के बाद 73 वर्षीय कुमार ने 31 दिसंबर को सुनवाई अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। मामले में अपनी दोषसिद्धि के बाद कुमार ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

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सज्जन ने मांगा था 30 जनवरी तक का समय

सज्जन कुमार ने हाई कोर्ट से आत्मसमर्पण के लिए 30 जनवरी तक का वक्त मांगा था। लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज करते हुए उसे 31 दिसंबर को ही आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था। कुमार ने अदालत में अर्जी देकर आत्मसमर्पण की अवधि 30 जनवरी तक बढ़ाने का अनुरोध करते हुए कहा था कि उन्हें अपने बच्चों और संपत्ति से जुड़े मसलों को सुलझाने और फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए वक्त चाहिए।

क्या बोला था कुमार के वकील ने 

कुमार के वकील अनिल शर्मा ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के लिए उन्हें कुछ और वक्त चाहिए। साथ ही, कुमार को अपने बच्चों और संपत्ति से जुड़े परिवारिक मामले निपटाने हैं। याचिका में कहा गया था कि दोषी ठहराए जाने के वक्त से ही कुमार सदमे में है और स्तब्ध हैं और उनका मानना है कि वह निर्दोष हैं।

सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा 

दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली की पालम कालोनी में राज नगर पार्ट-1 में 1984 में एक से दो नवंबर तक पांच सिखों की हत्या और राज नगर पार्ट-2 में गुरुद्वारे में आगजनी से जुड़े मामले में सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा दी गई है। यह दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को दो सिख सुरक्षार्किमयों द्वारा हत्या किए जाने के बाद भड़के थे।

सज्जन को सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा था कि ये दंगे ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ थे जिन्हें उन लोगों ने अंजाम दिया जिन्हें ‘राजनीतिक संरक्षण’ हासिल था और एक ‘उदासीन’ कानून लागू करने वाली एजेंसी ने इनकी सहायता की थी।

 

दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या कहा था अपने फैसले में

 

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 1984 के दंगों में दिल्ली में 2700 से अधिक सिख मारे गए थे जो निश्चित ही 'अकल्पनीय पैमाने का नरसंहार' था। कोर्ट ने कहा था कि यह मानवता के खिलाफ उन लोगों के जरिए किया गया अपराध था, जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था और जिनकी कानून लागू करने वाली एजेंसियां मदद कर रही थीं।

 

कोर्ट ने अपने फैसले में इस तथ्य का जिक्र किया था कि देश के बंटवारे के समय से ही मुंबई में 1993 में, गुजरात में 2002 और मुजफ्फरनगर में 2013 जैसी घटनाओं में नरसंहार का यही तरीका रहा है और प्रभावशाली राजनीतिक लोगों के नेतृत्व में ऐसे हमलों में 'अल्पसंख्यकों' को निशाना बनाया गया और कानून लागू करने वाली एजेंसियों ने उनकी मदद की।

 

 

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TAGS: Supreme Court, seeks CBI reply, appeal filed, Sajjan Kumar, challenging, Delhi HC verdict
OUTLOOK 14 January, 2019
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