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13 November 2019

जानें क्‍या है राफेल विवाद, जिस पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा अपना फैसला

File Photo

भारत के प्रधान न्‍यायधीश रंजन गोगोई की रिटायरमेंट का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे कुछ मामलों पर फैसला देने का समय भी नजदीक आ गया है। रिटायरमेंट से पहले उन्‍हें पांच अहम मामलों में फैसला सुनाना है। इनमें से सबसे चर्चित मामले अयोध्‍या पर वह पहले ही फैसला सुना चुके हैं। दूसरा मामला कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी से जुड़ा है जबकि तीसरा मामला सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से जुड़ा है। चौथा मामला सीजेआई कोर्ट का आरटीआई के दायरे में लाने से जुड़ा है, जिस पर कोर्ट बुधवार को फैसला सुना चुका है। इसके अलावा पांचवां और अंतिम मामला राफेल लड़ाकू विमान सौदे से जुड़ा है। राफेल पर काफी लंबे समय से विपक्ष और सरकार के बीच बहस चल रही है। सरकार जहां इसको अपनी उपलब्धि बता रही है वहीं विपक्ष खासकर कांग्रेस सरकार पर सवाल उठा रही है।

लंबे समय से विवाद में राफेल विवाद

राफेल मामले पर लंबे समय से विवाद चल रहा है। हालांकि भारत को इसकी खेप मिलनी भी शुरू हो गई है इसके बाद भी विवाद जारी है। इस पर आने वाले फैसले पर राजनीतिक पार्टियों समेत कई लोगों की निगाहें गड़ी हुई हैं। बता दें कि बीते लगभग सभी चुनावों में विपक्ष ने इस मुद्दे को बड़े जोर-शोर के साथ उठाया था। हालांकि कोर्ट पहले ही 36 राफेल विमानों की खरीद के सौदे की निगरानी में जांच कराने की मांग खारिज कर चुका है। इसको अरुण शौरी और भाजपा के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा समेत अन्य याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कर चुनौती दी है।

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लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए कवायद शुरू

वायुसेना में शामिल मिग और जगुआर विमानों की खराब हालत और लड़ाकू विमानों की कमी को देखते हुए लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए कवायद शुरू की गई थी। पहले भारतीय वायु सेना की क्षमता को बढ़ाए रखने के लिए 42 लड़ाकू स्‍क्‍वाड्रन की जरूरत थी जिसको बाद में 34 कर दिया गया था। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भारतीय वायु सेना की मांग के बाद 126 राफेल विमान खरीदने का पहली बार प्रस्‍ताव रखा था। लेकिन वाजपेयी सरकार के जाने के बाद इसको कांग्रेस ने आगे बढ़ाया और 2007 में इसकी खरीद को मंजूरी प्रदान की थी। इसके बाद बोली प्रक्रिया शुरू हुई और 126 विमानों की खरीद का आरएफपी जारी कर दिया गया।  आपको बता दें कि यह सौदा उस एमएमआरसीए प्रोग्राम (मीडियम मल्‍टी-रोल कॉम्‍बेट एयरक्राफ्ट) का हिस्‍सा है जिसको एलसीए और सुखोई के बीच के अंतर को खत्‍म करने के लिए शुरू किया गया था।

छह विमानों में से राफेल को किया गया फाइनल

इस प्रक्रिया में शामिल छह विमानों में से राफेल को फाइनल किया गया। इसकी कई वजहों में से एक यह भी थी कि यह एक बार में तीन हजार से अधिक की दूरी तय कर सकता था। इसके अलावा इसकी कीमत अन्‍य फाइटर जेट से कम थी और रख-रखाव सस्‍ता था। राफेल के अलावा इस प्रक्रिया में अमेरिका का बोइंग एफ/ए-18ई/एफ सुपर हॉरनेट, अमेरिका का लॉकहीड मार्टिन एफ-16 फाल्‍कन, रूस का मिखोयान मिग-35, फ्रांस का डसॉल्‍ट राफेल, ब्रिटेन का यूरोफाइटर और स्वीडन के साब जैस 39 ग्रिपेन जैसे लड़ाकू विमान शामिल थे। वर्ष 2011 में भारतीय वायुसेना ने राफेल और यूरोफाइटर टाइफून के मानदंड पर खरा उतरने की घोषणा की। वर्ष 2012 में राफेल को लेकर डसाल्ट ए‍विएशन से सौदे की बातचीत शुरू हुई। हालांकि इसकी कीमत को लेकर यह बातचीत 2014 तक भी अधूरी रही। 

ऐसे शुरू हुआ था विवाद

फ्रांस से राफेल पर सौदे के बाद यूपीए ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने कहीं अधिक कीमत पर यह सौदा किया है। यूपीए का कहना था कि उनकी सरकार के मुकाबले एनडीए ने यह सौदा करीब साढ़े बारह सौ करोड़ रुपये अधिक में किया है। वहीं सरकार की तरफ से कहा गया है पहले सौदे में राफेल के टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर की बात कहीं नहीं थी जबकि महज मैन्‍युफैक्‍चरिंग लाइसेंस दिए जाने की बात कही गई थी। सरकार का दावा था कि सौदे के बाद फ्रांस की कपंनी मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने में सहायक साबित होगी।

 

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TAGS: Supreme Court, to pronounce, verdict, Rafale, review petitions, tomorrow
OUTLOOK 13 November, 2019
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