सबरीमाला मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से किया इनकार
सबरीमाला मंदिर विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संविधान पीठ के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है। भारत के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मंदिर 5 और 6 नवंबर को 24 घंटे के लिए खुलेगा। पुनर्विचार याचिका पर 11 नवंबर के बाद ही सुनवाई की जाएगी।
नेशनल अयप्पा डिवोटी एसोसिएशन संस्था सहित करीब 19 पुनर्विचार याचिका अब तक सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो चुकी है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला केरल के लोगों की धार्मिक भावनाओं के पहलू को अनदेखा कर दिया गया है, इसलिए कोर्ट द्वारा 28 सितंबर को दिया गया फैसला असंवैधानिक है। ऐसे में कोर्ट अपने फैसले पर पुनर्विचार करें।
याचिका में पिछले 800 साल से सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को चुनौती
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता 'द इंडियन यंग लायर्स एसोसिएशन' ने सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के इस मंदिर में पिछले 800 साल से महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को चुनौती दी थी। याचिका में केरल सरकार, द त्रावनकोर देवस्वम बोर्ड और मंदिर के मुख्य पुजारी सहित डीएम को 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने की मांग की थी।
केरल सरकार मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के समर्थन में
इस मामले में 7 नंवबर 2016 को केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि वह मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के समर्थन में है। कोर्ट के आदेश के बाजवूद भारी विरोध के कारण अभी तक सबरीमाला मंदिर में अभी तक 10 से 50 साल तक की कोई महिला प्रवेश नहीं कर पाई है।
जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या सुनाया था फैसला
800 साल पुरानी प्रथा पर देश की शीर्ष अदालत ने अपना सुप्रीम फैसला सुनाते हुए महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में जाने की इजाजत दी है। अब सबरीमाला मंदिर में महिलाएं भी भगवान अयप्पा के दर्शन कर सकती हैं।
मंदिर की इस प्रथा को शीर्ष अदालत की एक पीठ ने गैर कानूनी घोषित किया
मंदिर की इस प्रथा को शीर्ष अदालत की एक पीठ ने गैर कानूनी घोषित किया। यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर पहुंचते हैं।