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15 August 2018

करुणानिधि की कोशिश से राज्यों में आजादी के दिन मुख्यमंत्री फहराते हैं तिरंगा

झंडा फहराते करुणानिधि (फाइल फोटो), सेंट जॉर्ज के तिरंगे का पोल (दाएं)

- जीसी शेखर

जब भारत भर के मुख्यमंत्री 15 अगस्त को राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं तो उन्हें यह अधिकार दिलाने के एक शख्स को धन्यवाद कहना चाहिए। उनका नाम है एम करुणानिधि। हाल ही में उनका निधन हो गया।

राज्यों के लिए हमेशा अधिक शक्तियों और स्वायत्तता की बात प्रमुखता से रखने वाले करुणानिधि ने महसूस किया कि इस तरह की स्वायत्तता का एक सांकेतिक कार्य यह हो कि मुख्यमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराएं। प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त से 1947 को लाल किले में ध्वज फहराकर यह विशेषाधिकार हासिल किया था लेकिन राज्यों में राज्यपाल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसरों पर ध्वज फहराते थे।

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इसलिए फरवरी 1974 में, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री करुणानिधि ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लिखा कि स्वतंत्रता दिवस पर ध्वज फहराने का विशेषाधिकार राज्यपाल की बजाय मुख्यमंत्री को मिलना चाहिए। इस सुझाव और इसके पीछे के तर्क को स्वीकार करते हुए केंद्र ने एक सूचना जारी की, जिसमें कहा गया था कि राज्य की राजधानियों में स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री और गणतंत्र दिवस पर राज्यपाल ध्वज फहराएंगे।

इसके बाद करुणानिधि ने 15 अगस्त, 1974 को सेंट जॉर्ज फोर्ट के तट से राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इसके बाद उन्होंने तेरह बार मुख्यमंत्री के रूप में ध्वज फहराया। 2009 और 2010 में उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठकर इसे फहराया।

चेन्नई में सेंट जॉर्ज के सामने एक 110 फीट मस्तूल पर लगे झंडे को फहराना एक शारीरिक चुनौती भी है। एक सेना का जवान यह काम करता है, जिसे 100 फीट से ज्यादा लंबी रस्सी को झटके सी खींचने और ध्वज फहराने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। आम तौर पर मुख्यमंत्री औपचारिक रूप से रस्सी में हल्का सा झटका देते हैं। इसके बाद का काम सेना का जवान करता है।

लेकिन 1977 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद एमजी रामचंद्रन इस चीज से अवगत नहीं थे। हालांकि एक्सरसाइज के कारण शारीरिक रूप से फिट होने के बावजूद, एमजीआर के सामने चुनौती खड़ी हो गई। जब उन्होंने रस्सी खींची तो झंडा नहीं खुला। वह जरूरत से ज्यादा रस्सी खींचने में मेहनत करने लगे, जिससे उनका चेहरा लाल हो गया। साथ ही वह अपनी धोती भी संभाल रहे थे, जो हवाओं की वजह से उड़ रही थी। इस अजीबोगरीब स्थिति पर एक सैन्य अधिकारी ने आगे बढ़कर रस्सी ली और इसे एक सेना के जवान को सौंप दिया, जिसने एक झटके के साथ झंडा फहराया।

2016 में निधन से कुछ महीने पहले जयललिता भी झंडे के बेस तक ले जाने वाले रैंप पर नहीं चढ़ सकी थीं। उन्होंने व्हीलचेयर पर जाने से इनकार कर दिया। तब मंच के पीछे एक विशेष हाइड्रोलिक लिफ्ट लगाई गई, जो धीरे-धीरे मुख्यमंत्री को वहां तक पहुंचा देती थी। इसे मीडिया के कैमरों से बचाने के लिए चारों तरफ से ढका गया था। पिछले स्वतंत्रता दिवस पर तमिलनाडु के वर्तमान मुख्यमंत्री ई पलानीसामी ने झंडे के बेस तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों का इस्तेमाल किया।

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TAGS: Tamilnadu, former cm, karunanidhi, indira gandhi, independence day
OUTLOOK 15 August, 2018
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