अब सीबीआई स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर गिरी गाज, कार्यकाल घटाया गया
सीबीआई में स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना सहित चार अधिकारियों का कार्यकाल घटा दिया गया। इसमें अस्थाना के अलावा जॉइंट डायरेक्टर अरुण कुमार शर्मा, मनीष कुमार सिन्हा और जयंत जे नाइकनावरे का नाम शामिल है। गुरुवार को सरकार की तरफ से जारी किए गए एक आदेश में यह बात कही गई।
आलोक वर्मा की हुई थी छुट्टी
पिछले दिनों सीबीआई में आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच झगड़ा खुलकर सामने आ गया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली सेलेक्शन कमेटी ने आलोक वर्मा को डायरेक्टर पद से हटाकर फायर सर्विसेज में भेज दिया गया था। हालांकि उन्होंने चार्ज नहीं लिया और अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
यह फैसला ऐसे वक्त पर लिया गया है जब 24 जनवरी को सेलेक्शन पैनल नए सीबीआई चीफ पर फैसला लेगा। फिलहाल नागेश्वर राव सीबीआई के अंतरिम निदेशक के तौर पर कमान संभाल रहे हैं। हाल ही में पीएम की अध्यक्षता वाले सेलेक्शन पैनल ने आलोक वर्मा को उनके पद से हटा दिया था।
Tenure of CBI Special Director Rakesh Asthana and three other CBI officers curtailed by Appointments Committee of the Cabinet, with immediate effect. pic.twitter.com/TXbhwQ9kVO
— ANI (@ANI) January 17, 2019
खड़गे ने किया था वर्मा को हटाने का विरोध
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली हाई पावर सेलेक्टन कमेटी ने आलोक वर्मा को भ्रष्टाचार और ड्यूटी में लापरवाही बरतने को लेकर सीबीआई डायरेक्टर पद से हटा दिया था। कमेटी की बैठक में 2:1 से ये फैसला लिया गया। पैनल में पीएम मोदी के प्रतिनिधि और चीफ जस्टिस के प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद जस्टिस एके सीकरी आलोक वर्मा को हटाने के पक्ष में थे। वहीं, तीसरे सदस्य के तौर पर लोकसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आलोक वर्मा को हटाने के विरोध में थे। इसके विरोध में उन्होंने चिट्ठी भी सौंपी।
पैनल ने संस्था के विपरीत पाया आचरण
पैनल ने पाया कि सीवीसी ने आलोक वर्मा पर गंभीर टिप्पणियां की हैं। आलोक वर्मा जिस तरह के संवेदनशील संस्था के प्रमुख थे, उन्होंने वैसा आचरण नहीं किया। पैनल के मुताबिक सीवीसी को लगा है कि मोइन क़ुरैशी मामले में आलोक वर्मा की भूमिका संदेहास्पद है। आईआरसीटीसी मामले में सीवीसी को ये लगा है कि जानबूझकर वर्मा ने एक नाम हटाया है। वहीं, सीवीसी को कई दूसरे मामलों में भी उनके खिलाफ सबूत मिले हैं।
सीवीसी जांच को नहीं बनाया जा सकता आधार
इससे पहले बुधवार को हुई सेलेक्शन कमेटी की बैठक बेनतीजा रही थी। बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आलोक वर्मा को सीबीआई चीफ के पूरे अधिकार दिये जाने चाहिए। इसके साथ ही खड़गे ने आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी की जांच के सभी दस्तावेज समिति के सामने पेश करने की मांग की। उनका कहना था कि सिर्फ सीवीसी की जांच के आधार पर फैसला नहीं किया जा सकता है। यह देखना जरूरी है कि सीवीसी ने जांच किन दस्तावेजों के आधार पर की थी।
कुर्सी संभालते ही किए ट्रांसफर
आलोक वर्मा ने 77 दिनों बाद अपना पद संभालते ही तत्कालीन निदेशक (प्रभारी) एम नागेश्वर राव द्वारा किए गए लगभग सारे तबादले रद्द कर दिए थे। वहीं, गुरुवार को उन्होंने बड़े फैसले लेते हुए पांच अधिकारियों के तबादले कर दिए। वर्मा ने जेडी अजय भटनागर, डीआईजी एमके सिन्हा, डीआईजी तरुण गौबा, जेडी मुरुगसन और एडी एके शर्मा का तबादला किया। साथ ही उन्होंने सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच के लिए आईपीएस अधिकारी मोहित गुप्ता की नियुक्ति भी की।