‘गांवों और कस्बों के विकास के जरिए ही विकसित भारत का लक्ष्य संभव’
गांवों और कस्बों के विकास के ज़रिए ही विकसित भारत का लक्ष्य संभव है। विज्ञान और तकनीक इस मिशन में काफ़ी मददगार साबित हो सकता है। विजनाना भारती के राष्ट्रीय संयुक्त संगठन सचिव प्रवीण रामदास ने ये बातें कहीं। वे आज यूनिवर्सिटी स्कूल औफ बेसिक एंड अप्लाइड साइन्सेज, आईपी यूनिवर्सिटी और इंद्रप्रस्थ विज्ञान भारती द्वारा संयुक्त से राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर द्वारका कैम्पस में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में अपने देश की गौरवशाली विरासत रही है। यह सच नहीं है कि विज्ञान हमने अंग्रेजों से सीखा है। कोलकाता के इंडियन इन्स्टिटूट ऑफ कल्टिवेशन ऑफ साइन्सेज में इस पर काफ़ी काम हुआ है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और तकनीक हमेशा से विकास के लिए टूल का काम करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा का फ़ायदा कैसे समाज और राष्ट्र को मिले इस पर भी हमें सोचने की ज़रूरत है।
बिराक, दिल्ली के प्रबंध निदेशक जितेंद्र कुमार ने इस अवसर पर कहा कि इस जमाने में भी सब कुछ व्यावसायिक नहीं हो सकता। विज्ञान और तकनीक को देश की उन्नति में कैसे प्रयोग में लाया जाए इस गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है।
उन्होंने कहा कि कोई भी देश इनोवेशन के ज़रिए ही विकास करता है। इसे ध्यान में रखते हुए हमें इनोवेशन पर ज़ोर देने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी उद्यमशीलता के अंकुरण के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है।
इस अवसर पर यूनिवर्सिटी के कुलपति पद्मश्री प्रो.( डॉ.) महेश वर्मा ने कहा कि नवाचार, वैश्विक नेतृत्व और युवा सशक्तिकरण के ज़रिए ही हम विकसित राष्ट्र बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान का मूल उद्देश्य मानवता की भलाई है। हमें इस उद्देश्य के साथ आगे बढ़ना है।
इस अवसर पर वीजीयू, जयपुर के पूर्व कुलपति प्रो वाय के विजय और एम्स, दिल्ली की डॉ रमा जयसुंदर ने भी अपने व्याख्यान दिए। यूनिवर्सिटी स्कूल और बेसिक एंड अप्लाइड साइयन्सेज के डीन प्रो ए दत्ता ने बताया कि इस अवसर पर स्लोगन लेखन, पेंटिंग, पोस्टर प्रस्तुतीकरण, साइयन्स क्विज़, हैकेथन इत्यादि का आयोजन भी किया गया। उन्होंने कहा कि आज के आयोजन का थीम था- एम्पावरिंग इंडियन यूथ फ़ॉर गलोबल लीडरशिप इन साइन्सेज एंड इनोवेशन फ़ॉर ए डवलप्ड इंडिया।