Advertisement
21 July 2019

चंद्रयान-2 का काउंटडाउन शुरू, आज दोपहर 2:43 बजे होगी लॉन्चिंग

File Photo

इसरो के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग का रिहर्सल सफल रहा है और इसका काउंटडाउन रविवार शाम 6:43 बजे से शुरू हो गया। 15 जुलाई को लॉन्चिंग टाले जाने के बाद इसरो ने इसके लिए 22 जुलाई को दोपहर 2:43 बजे का वक्त तय किया था। इससे पहले 15 तारीख को क्रायोजेनिक इंजन में लीकेज के चलते लॉन्चिंग को कुछ वक्त पहले ही स्थगित कर दिया गया था।

सभी तैयारियां पूरी: इसरो चीफ

इसरो चीफ के सिवान ने बताया, 'चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग से जुड़ी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पहले प्रयास जो तकनीकी खामी आई थी, उसे भी दूर कर लिया गया है।' इसरो के पूर्व चीफ ए.एस किरण कुमार ने कहा कि इस तरह के किसी भी अभियान से पहले हम कई स्तरों पर टेस्टिंग करते हैं। पिछली बार हमें एक खामी मिली थी और इससे पार पा लिया गया है। अब हम चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के लिए तैयार हैं।

Advertisement

'6 सितंबर को चांद पर लैंडिंग'

उन्होंने बताया कि चंद्रयान 22 जुलाई को लॉन्च होगा और 14 अगस्त से हम चंद्रमा के लिए यात्रा शुरू करेंगे। इसके बाद 6 सितंबर तक मून पर लैंडिंग होगी। सभी ऐक्टिविटीज अच्छे से चल रही हैं। इससे पहले शनिवार दोपहर को इसरो ने बताया कि चंद्रयान-2 को ले जाने वाले जीएसएलवी मार्क III-एम 1 की लॉन्च रिहर्सल पूरी हो गई है और परफॉर्मेंस नॉर्मल है।

चंद्रयान-2 के बारे में

चंद्रयान-2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। इस रॉकेट में तीन मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) होंगे। इस मिशन के तहत इसरो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर को उतारेगा। इस बार चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो होगा। यह चंद्रयान-1 मिशन (1380 किलो) से करीब तीन गुना ज्यादा है। लैंडर के अंदर मौजूद रोवर की रफ्तार 1 सेमी प्रति सेकंड रहेगी।

पहली बार अक्टूबर 2018 में टली थी ल़ॉन्चिंग

इसरो चंद्रयान-2 को पहले अक्टूबर 2018 में लॉन्च करने वाला था। बाद में इसकी तारीख बढ़ाकर 3 जनवरी और फिर 31 जनवरी कर दी गई। बाद में अन्य कारणों से इसे 15 जुलाई तक टाल दिया गया। इस दौरान बदलावों की वजह से चंद्रयान-2 का भार भी पहले से बढ़ गया। ऐसे में जीएसएलवी मार्क-3 में भी कुछ बदलाव किए गए थे।

चंद्रयान-2 मिशन क्या है?

नई तारीख तय होने पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से चंद्रयान-2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था। चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा। यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन जाएगा।

ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर क्या काम करेंगे?

चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है। ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके। वहीं, लैंडर और रोवर चांद पर एक दिन (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) काम करेंगे। लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं। जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: IST, July 22nd, Chandrayaan2
OUTLOOK 21 July, 2019
Advertisement