Advertisement
23 May 2025

कोटा में छात्रों की आत्महत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को आड़े हाथ लिया

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोटा शहर में छात्रों की आत्महत्या के मामलों में वृद्धि पर राजस्थान सरकार को आड़े हाथों लिया और स्थिति को ‘गंभीर’ बताया।

न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि इस साल अब तक शहर से आत्महत्या के 14 मामले सामने आए हैं।

न्यायमूर्ति पारदीवाला ने राजस्थान राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से पूछा, ‘‘आप एक राज्य के रूप में क्या कर रहे हैं? ये बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और केवल कोटा में ही क्यों? क्या आपने एक राज्य के रूप में इस पर विचार नहीं किया?’’

Advertisement

वकील ने कहा कि आत्महत्या के मामलों की जांच के लिए राज्य में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था। शीर्ष अदालत आईआईटी, खड़गपुर में पढ़ने वाले 22 वर्षीय छात्र की मौत के मामले की सुनवाई कर रही थी। छात्र 4 मई को अपने छात्रावास के कमरे में फांसी के फंदे पर लटका हुआ पाया गया था।

न्यायालय एक अन्य मामले से भी निपट रहा है, जिसमें नीट परीक्षा की अभ्यर्थी एक लड़की कोटा में अपने कमरे में मृत मिली थी, जहां वह अपने माता-पिता के साथ रहती थी।

पीठ को पता चला कि आईआईटी खड़गपुर के छात्र की मौत के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने 8 मई को दर्ज की गई एफआईआर में चार दिन की देरी पर सवाल उठाया। पीठ ने कहा, ‘‘इन बातों को हल्के में न लें। ये बहुत गंभीर बातें हैं।’’

पीठ ने शीर्ष अदालत के 24 मार्च के फैसले का हवाला दिया, जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या के बार-बार सामने आने वाले मामलों पर ध्यान दिया गया था और छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक राष्ट्रीय कार्य बल का गठन किया गया था।

पीठ ने शुक्रवार को कहा कि फैसले के अनुरूप ऐसे मामलों में प्राथमिकी का तुरंत दायर किया जाना आवश्यक है। पीठ ने अदालत में मौजूद संबंधित पुलिस अधिकारी से पूछा, ‘‘आपको प्राथमिकी दर्ज करने में चार दिन क्यों लगे?’’

अधिकारी ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच चल रही है।  पीठ ने उनसे कहा, ‘‘आप कानून के अनुसार जांच जारी रखें।’’

यह बात रिकॉर्ड में आई कि आईआईटी खड़गपुर के अधिकारियों ने पुलिस को सूचना दी जिसके बाद आत्महत्या के बारे में उसे पता चला। हालांकि पीठ आईआईटी खड़गपुर के वकील और पुलिस अधिकारी के स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं थी। उसने कहा, ‘‘हम इस मामले में बहुत सख्त रुख अपना सकते थे।’’ पीठ ने कहा कि जांच सही दिशा में तेजी से की जानी चाहिए।

कोटा आत्महत्या मामले में पीठ ने प्राथमिकी दर्ज न करने को गलत ठहराया। राज्य के वकील ने कहा कि मामले की जांच जारी है और एसआईटी को राज्य में आत्महत्या के मामलों की जानकारी है।

पीठ ने वकील से पूछा, ‘‘कोटा में अब तक कितने छात्रों की मौत हुई है?’’ वकील द्वारा 14 कहने के बाद पीठ ने कहा, ‘‘ये छात्र क्यों मर रहे हैं?’’

पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित कार्य बल को समग्र रिपोर्ट देने में समय लगेगा। पीठ ने राजस्थान के वकील से पूछा, ‘‘आप हमारे फैसले की अवमानना कर रहे हैं। आपने प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं की?’’

पीठ ने कहा कि छात्रा अपने संस्थान द्वारा उपलब्ध कराए गए आवास में नहीं रह रही थी, जिसे उसने नवंबर 2024 में छोड़ दिया और अपने माता-पिता के साथ रहने लगी। पीठ ने कोटा मामले में संबंधित पुलिस अधिकारी को 14 जुलाई को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तलब किया है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: The Supreme Court, Rajasthan government, suicide of students, Kota
OUTLOOK 23 May, 2025
Advertisement