Advertisement
20 September 2024

दूध व मछलीपालन के असंगठित सेक्टर को संगठित करने की जरूरत: राजीव रंजन सिंह

file photo

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि आज सरकार के पहल से भारत विश्‍व में पशु धन मामले में पहले नंबर पर है। दूध का उत्‍पादन लगातार बढ़ रहा है। दूध का बाजार 11.16 मिलियन का है। ग्‍लोबल ग्रोथ 6 फीसदी की दर से बढ़ रहा है जबकि विश्‍व में यही 2 फीसदी है। , प्रति व्‍यक्ति खपत 459 ग्राम जबकि विश्‍व में 325 ग्राम है। यही खपत 2013-14 में 307 ग्राम प्रति व्‍यक्ति थी, जो बढ़ कर 459 ग्राम तक पहुंच गया है।

इसी तरह अंडे का बाजार 78 मिलियन का था आज 138 मिलियन के करीब है। यह केन्‍द्र सरकार के प्रयास से हो रहा है। मछली का 60 हजार करोड़ का निर्यात है, वहीं दूध में मुनाफा डेढ़ गुना बिचौलिये खा जाते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण यह सेक्‍टर के बड़े हिस्से का असंगठित होना है।आज इस सेक्टर को संगठित सेक्‍टर बनाने की जरूरत है। जिससे दूध उत्‍पादन करने वाले किसानों को पूरा का पूरा लाभ मिल सके।

राजीव रंजन ने कहा इसके अलावा पशुपालन के क्षेत्र में घरेलू समाधानों को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए केंद्र सरकार कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, जिनके तहत भारतीय नस्लों में आनुवांशिक सुधार के लिए आईवीएफ की नई तकनीक विकसित की गई है। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी एवं पंचायती राज मंत्री आज गोवा के नोवोटेल रिसोर्ट में सीएलएफएमए ऑफ इंडिया (क्लेफमा) के 65वें राष्ट्रीय सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

Advertisement

उन्होंने बताया कि केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने डेयरी क्षेत्र के लिए सस्ती स्वदेशी तकनीकों के विकास में कई उपाय किए हैं। आईवीएफ के लिए कल्चर मीडिया और गोजातीय पशुओं के लिए एक एकीकृत जीनोमिक चिप विकसित की गई है। मवेशियों के लिए विशेष एकीकृत जीनोमिक 'गौ चिप' और भैंसों के लिए 'महिष चिप' का विकास किया गया है। इस तकनीक पर सरकार 5 हजार रुपये की सब्सिडी भी देगी।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि असंगठित दुग्ध क्षेत्र को संगठित करने के लिए राज्यों की पहचान करने और चारे की कमी से निपटने के लिए भी कई योजनाएं बनाई गई हैं। मत्स्य पालन क्षेत्र में विकास के लिए सरकार ने तीन स्मार्ट फिश हार्बर और पांच एक्वा पार्क को भी मंजूरी दी है। उन्होंने सीएलएफएमए के प्रयासों की तारीफ करते हुए कहा कि इस तरह के मंथन में ऐसी बातें निकलनी चाहिए, जो सरकार को पॉलिसी बनाने में मदद करें।

सीएलएफएमए ऑफ इंडिया के चेयरमैन सुरेश देवड़ा ने कहा कि पशुधन सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण धुरी है। यह सेक्टर किसानों और पशुपालन क्षेत्र से जुड़े लोगों को रोजगार भी प्रदान कराता है। इस उद्योग का सालाना टर्नओवर 12 लाख करोड़ है। पूरी दुनिया में उच्च गुणवत्ता वाले पशुधन उत्पादों की खपत लगातार बढ़ रही है। आर्थिक संपन्नता के साथ लोग अधिक अंडे, मांस, दूध-पनीर का सेवन कर रहे हैं। भारत में भी इन वस्तुओं की खपत में लगातार वृद्धि हो रही है। यदि हमारे किसान इस क्षेत्र में निवेश करते हैं तो उन्हें इसका बेहतर लाभ मिल सकता है। यह कृषि से अधिक तेजी के साथ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य किसानों और पशुधन उत्पादकों के लिए 'फार्म-टू-फोर्क' दृष्टिकोण पर आधारित एक मंच विकसित करना है। इस मौके पर देवड़ा ने चारे के लिए रॉ मैटेरियल की महंगी कीमतों का भी मुद्दा उठाया, और सरकार से मांग की है कि यह एक गंभीर विषय है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।

पूर्व आईएएस अधिरारी तरूण श्रीधर ने कहा कि सस्टेनिबिलिटी तभी होगी जब उपभोक्ता पशुधन उत्पादों का उपभोग करता रहे और किसान उनकी पैदावार करता रहे। लगातार बढ़ती  जनसंख्या की खाद्य जरूरतों को पूरा करने का एक बड़ा स्रोत पशुधन उत्पाद हैं। हमें पशुधन क्षेत्र को केवल आजीविका क्षेत्र या उत्पादन क्षेत्र नहीं, बल्कि खाद्य क्षेत्र के रूप में देखना होगा, एक ऐसा क्षेत्र जो मनुष्यों की बुनियादी जरूरत यानी भोजन प्रदान करता है।

सम्मेलन के प्रमुख वक्ता गोदरेज एग्रोवर्ट के एमडी बलराम सिंह यादव ने कहा कि वे पशुधन इंडस्ट्री को पिछले 25 वर्षों से देख रहे हैं। इसने बहुत सारे रोजगार का और आजीविका का सृजन किया है। मुझे लगता है कि जिस तरह का विकास हम भविष्य में अनुभव करने जा रहे हैं, वह हम सभी के लिए बहुत समृद्धि और रोजगार लाएगा। स्टार्ट-अप भी हमारे क्षेत्र में वितरण और नए व्यवसाय मॉडल को आगे बढ़ा रहे हैं।

सम्मेलन में चर्चा का विषय था- "टिकाऊ पशुधन क्षेत्र: खतरे, चुनौतियां और अवसर." जिस पर इंडस्ट्री के एक्सपर्ट ने अपने-अपने विचार रखे। इससे पहले मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दौरान लाइवस्‍टाक सर्वे रिपोर्ट 2024 का विमोचन भी किया गया। सीएलएफएमए के चेयरमैन सुरेश देवड़ा ने भावी योजनाओं को साझा किया। 20 से 21 सितंबर तक चलने वाले इस राष्ट्रीय सम्मेलन में पशुधन उद्योग के दिग्गज, भारत सरकार के विशेषज्ञ और विभिन्न स्टेकहोल्डर्स समेत करीब 400 से अधिक एक्सपर्ट्स शामिल हो रहे हैं।

सुरेश देवड़ा के मुताबिक सीएलएफएमए एक पशुधन संघ और एपेक्स चैंबर है, जो देश में पशुपालन पर आधारित कृषि का प्रतिनिधित्व करता है और 1967 में शुरू हुए पशुधन उद्योग की "वन वॉयस" योजना को बढ़ावा देता है। अखिल भारतीय स्तर पर एसोसिएशन के 225 से ज्यादा सदस्य हैं।

इस मौके पर सीएलएफएमए के डिप्टी चेयरमैन दिव्य कुमार गुलाठी ने भी अपना संबोधन दिया। इनके अतिरिक्त विशेष अतिथि पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय, भारत सरकार के पशुपालन कमिश्नर डा. अभिजीत मित्रा, पशुपालन मंत्रालय, ने पशुपालन और मत्स्य पालन पर मोदी सरकार 3.0 की योजनाओं से अवगत कराया। क्लेफमा ऑफ इंडिया इस वर्ष ओपी चौधरी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया है। इनके अलावा वैज्ञानिक डा. दीपाश्री देसाई व डा. उदयवीर सिंह चहल को क्लेफमा अवार्ड से सम्मानित किया गया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
OUTLOOK 20 September, 2024
Advertisement