सीएए पर बोले चिदंबरम, भारत धर्म के आधार पर नागरिकता देने के लिए नहीं बना था
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि नागरिकता क्षेत्रीय आधार के बजाय धार्मिक आधार पर दी जा रही है। कई देशों में धर्म के आधार पर नागरिकता दी जाती है लेकिन भारत इस आधार पर नहीं बना था। अगर सीएए के तहत किसी समुदाय विशेष को नजंरबंदी के लिए भेजा जाता है तो उसके खिलाफ भारी जन आंदोलन होना चाहिए।
जेएनयू में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि एनआरसी, एनपीआर और सीएए अलग हैं लेकिन तीनो इंटरकनेक्टेड हैं। चिदंबरम ने कहा कि असम में एनआरसी में हिंदुओं के ज्यादा नाम आने की वजह से सीएए को लाया गया है। मैंने जब संसद में पूछा कि किसी देश से बात हुई कि इन्हें कहां और कैसे भेजेंगे? तो अमित शाह ने कहा कि हम 2024 से पहले सबको भेज देंगे।
तीन दिन में बदल दिया कानून
उन्होंने कहा कि संविधान में नागरिकता का प्रावधान है। पूरी दुनिया में हर जगह देश में रहने वाले नागरिकों को नागरिकता देने का प्रावधान होता है। अगर किसी के माता-पिता, दादा-दादी भारत में रह चुके हैं तो उनके बच्चे यहीं के नागरिक होते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 8 दिसंबर को सीएए ड्राफ्ट हुआ अगले दिन लोकसभा में और 11 दिसंबर को राज्यसभा में पास हो गया जबकि बाबा साहेब को संविधान में नागरिकता अनुच्छेद को बनाने में 3 महीने लगे थे।
निरस्त किया जाना चाहिए सीएए
चिदंबरम ने कहा कि भाजपा ने तीन देशों को अपने नागरिक के आधार पर चुना, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, जो कि हमारे पड़ोसी हैंय़ अगर ऐसा है तो भूटान, म्यांमार, चीन, श्रीलंका और नेपाल क्या हमारे पड़ोसी देश नहीं हैं? उन्होंने कहा कि सीएए बहुत ही बेकार ड्राफ्ट है। कांग्रेस का मानना है कि सीएए को निरस्त किया जाना चाहिए।