जल संरक्षण के साथ बेहतर उपज में मदद कर रही यह तकनीक, आईटीसी का है अहम योगदान
केन्द्र सरकार किसानों की लगातार मदद कर रही है। उनके लिए सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं तो आईटीसी भी जल संरक्षण के साथ बेहतर उपज में मदद कर रही है। एक साल में आईटीसी ने 49.65 करोड़ घनमीटर से ज्यादा पानी बचाने में कामयाबी हासिल की है।
जल संरक्षण एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने, उत्पादकता सुधारने व किसानों की आय बढ़ाने के लिए वाटर स्टेवार्डशिप प्रोग्राम पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों को अपनाते हुए काम कर रहा है। 11 राज्यों में 7.28 लाख एकड़ खेतों को कवर किया गया है जिससेए 3 लाख से ज्यादा किसानों के जीवन को ‘वाटर पॉजिटिव’ बनाया जा सका है।
मांग वाले बिंदु पर फसल और क्षेत्र विशेष के आधार पर कृषि पद्धति और माइक्रो सिंचाई की तकनीकों को बढ़ावा देने जैसे कदम शामिल हैं, जिससे पानी की खपत कम होती है और मोर क्रॉप पर ड्रॉप’ की पहल को समर्थन मिलता है। इससे उत्पादकता बढ़ती है और उपज की लागत कम होती है। मिट्टी की नमी को संरक्षित करते हुए और वर्षा जल संचयन के साथ-साथ कई अन्य कदम जैसे भूजल की स्थिति सुधारने के लिए मैनेज्ड एक्वाफर रिचार्ज और मिट्टी की नमी में सुधार के लिए जैव विविधता संरक्षण के कदम से किसानों को मदद मिल रही है।
चेयरमैन संजीव पुरी ने बताया कि जल प्रबंधन पर आईटीसी की विभिन्न पहल से कृषि का पारंपरिक तरीका अपनाने वाले क्षेत्रों की तुलना में प्रोजेक्ट वाले क्षेत्रों में 6 फसलों एवं सब्जियों के उत्पादन में उपयोग होने वाली पानी की मात्रा में कमी स्पष्ट रूप से देखी गई है। अध्ययन बताते हैं कि धान की खेती में 25 प्रतिशत, गेहूं में 20 प्रतिशत और प्याज में 8 प्रतिशत कम पानी का इस्तेमाल किया गया है। उऩ्होंने बताया कि कंपनी क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर और जल संरक्षण के क्षेत्र में प्रयासों को विस्तार दे रही है।