Advertisement
23 February 2017

सहनशीलता, करुणा, देशभक्ति भारत के प्रमुख मूल्य: राष्ट्रपति

गूगल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध संस्था भारतीय शिक्षण मंडल और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में प्रणव ने कहा, भारत का विचार हमारी समृद्ध परंपराओं के शाश्वत ज्ञान से प्रवाहित होता है। हमारे मूल सभ्यतागत मूल्य, जो आज भी समान रूप से प्रासंगिक हैं, मातृभूमि के लिए प्रेम, कर्तव्य पालन, सभी के लिए करुणा, बहुलतावाद के लिए सहनशीलता, जीवन में ईमानदारी, व्यवहार में संयम, कार्य में जिम्मेदारी और अनुशासन की बातें करते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत महान परंपराओं और आविष्कारों की भूमि है जो विरोधाभासों से ऊपर उठ सकती है और मिलीजुली संस्कृति पर फल-फूल सकती है। ‘भारत का विचार’ नाम के कार्यक्रम में उन्होंने कहा, कभी-कभी मैं उस विशाल विविधता के बारे में सोचता हूं जिसमें हम रहते हैं और हम फलते-फूलते हैं। 200 भाषाएं, 1800 बोलियां, दुनिया के सातों प्रमुख धर्म, हर जातीय समूह, फिर भी हम एक व्यवस्था में रहते हैं। एक झंडा, एक संविधान, यही मेरे लिए भारतीय शैली है। प्रणव ने कहा कि लगातार मंथन और परिष्करण उथल-पुथल भरे समय से गुजरने के बाद भी भारतीय विचार के बरकरार रहने के राज हैं।

उन्होंने कहा, हम इस विविधता में रहने के बावजूद, आनंद में हैं, हम जश्न मनाते हैं, लेकिन जब दुनिया की विभिन्न धाराओं के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले महान संगम की बात होती है तो हम वैयक्तिकता की अनदेखी नहीं करते। भारतीय शिक्षा प्रणाली पर प्रणव ने कहा कि इसे कभी केंद्रीकृत नहीं होने दिया गया और देश में गुरु-शिष्य परंपरा रही।

Advertisement

उन्होंने कहा कि आंख के बदले आंख और दांत के बदले दांत के रवैये से उलट भारतीय सभ्यता ने मानवता को सर्वे भवंतु सुखिन: का संदेश दिया। प्रणव ने कहा कि भारत ने आजादी के बाद से काफी प्रगति की है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: प्रणव मुखर्जी, राष्ट्रपति, बहुलतावाद, सहनशीलता, मातृभूमि, भारत
OUTLOOK 23 February, 2017
Advertisement