कावेरी जल विवाद को लेकर सड़क से लेकर संसद तक विरोध प्रदर्शन
कावेरी जल विवाद के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। गुरुवार को विपक्षी दलों ने कावेरी प्रबंधन बोर्ड की मांग को लेकर सड़क से लेकर संसद तक विरोध प्रदर्शन किया। कावेरी मुद्दे पर तमिलनाडु में विपक्षी दलों के बुलाए गए बंद का असर राज्य के कई शहरों में देखने को मिला। चेन्नै में प्रदर्शन के दौरान डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एम के स्टालिन को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। वहीं, लोकसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।
Traffic jam in #Chennai due to 'road-roko' protests and demonstrations by opposition parties over #CauveryWaterManagementBoard issue. #TamilNadu pic.twitter.com/bCzY3BU8bz
— ANI (@ANI) April 5, 2018
तमिलनाडु में बंद के चलते सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। बंद को समाज के लगभग हर तबके ने समर्थन दिया है। डीएमके और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए सड़कें जाम कर दीं। प्रदर्शनकारियों की बड़ी संख्या को देखते हुए भारी सुरक्षाबलों की तैनाती की गई। विपक्षी दलों के प्रदर्शन के कारण चेन्नै की सड़कें जाम हो गईं। बसें भी नहीं चलीं। जरूरी कार्यों के लिए लोगों ने छोटे वाहनों का सहारा लिया। बंद के दौरान डीएमके कार्यकर्ता चेन्नै की सड़कों पर प्रदर्शन के लिए उतरे। प्रदर्शन का नेनृत्व पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन कर रहे थ्ाे। उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया
Lok Sabha adjourned till tomorrow following uproar by MPs over #Cauvery issue pic.twitter.com/pJuevPikBk
— ANI (@ANI) April 5, 2018
संसद में हंगामा
कावेरी मुद्दे को लेकर लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ जिसके चलते लोकसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई। सुबह सदन की बैठक शुरू होते ही एआईएडीएमके के सदस्य पिछले दिनों की तरह हाथों में तख्तियां लेकर अध्यक्ष के आसन के समीप आकर कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगे। एआईएडीएमके सांसद जोरदार तरीके से ‘वी वांट जस्टिस’ और ‘वी डिमांड कावेरी बोर्ड’ के नारे लगा रहे थे।
यह है मामला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 फरवरी को अपने आदेश में कावेरी जल में कर्नाटक का हिस्सा 14.75 टीएमसी फुट से बढ़ाकर उसे 270 टीएमसी फुट कर दिया था। यानी नदी के जल में तमिलनाडु का हिस्सा घट गया था। कोर्ट ने कहा था कि पानी राष्ट्रीय संपत्ति है और नदी के जल पर किसी भी राज्य का मालिकाना हक नहीं है।