उच्चतम खतरे की रिपोर्ट के बाद उन्नाव रेप पीड़िता और परिवार को शिफ्ट करने का UP सरकार को निर्देश
दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को एम्स में भर्ती उन्नाव रेप पीड़िता और उसके परिवार को किसी सुरक्षित स्थान पर या पड़ोसी राज्य में भेजने के संबंध में उठाए जाने वाले संभावित कदमों पर एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। दरअसल, अदालत ने यह आदेश तब दिया जब सीबीआई ने अदालत को खतरे की आशंका के बारे में बताया। इस मामले को लेकर कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में सीबीआई ने संकेत दिया है कि पीड़िता और उसके परिवार का जीवन हाई लेवल खतरे में हैं।
खतरे में पीड़िता और उसके रिश्तेदारों का जीवन- सीबीआई
अपनी थ्रेट-परसेप्शन नामक रिपोर्ट (threat-perception report) में सीबीआई ने पीड़िता और उसके रिश्तेदारों को 'कैटेगरी-ए' के तहत रखा है। बता दें कि इस कैटेगरी में रखने का मतलब है मामले की जांच, परीक्षण और उसके बाद गवाह और उसके परिवार के सदस्यों के जीवन पर खतरा बढ़ना।
जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को एक हफ्ते के भीतर एक रिपोर्ट दाखिल कर दुष्कर्म पीड़िता, उसकी मां, दो बहनों और भाई को सुरक्षित स्थान पर भेजने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में बताने को कहा।
सीबीआई ने खतरे की स्थिति को लेकर कोर्ट में दाखिल की थी रिपोर्ट
पीड़िता ने भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। पीड़िता को 28 जुलाई को एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था। बहन और भाई के साथ उसकी मां अभी दिल्ली में उसके साथ है। अदालत का यह निर्देश तब आया जब सीबीआई ने खतरे की स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट दाखिल की। राज्य सरकार को अदालत को पीड़िता और उसके परिवार की जिंदगी और आजादी की रक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी अवगत कराने का निर्देश दिया गया है। अदालत अब 24 सितंबर को दुष्कर्म मामले पर सुनवाई करेगी।
इस मामले में भी कोर्ट ने की सुनवाई
इसी से जुड़े एक अन्य मामले में, अदालत ने उन्नाव पीड़िता के पिता का उपचार करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ जांच शुरू करने से सीबीआई को निर्देश देने से मना करते हुए कहा कि मामला चलाना सीबीआई का विशेषाधिकार है। इन डॉक्टरों ने पीड़िता के पिता का तब उपचार किया था जब वह न्यायिक हिरासत में थे और घायल हो गए थे। न्यायाधीश धर्मश शर्मा पीड़िता के वकील की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। हालांकि, अदालत ने कहा कि सुनवाई के दौरान समूचे घटनाक्रम में किसी भी डॉक्टरों की भूमिका के बारे में तथ्य सामने आए तो उचित आदेश जारी किए जाएंगे।
नौ अप्रैल 2018 को न्यायिक हिरासत में पीड़िता के पिता की मौत
वरिष्ठ लोक अभियोजक अशोक भारतेंदु ने याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि उनकी जांच में अदालत के सामने डॉक्टरों को आरोपियों के तौर पर बुलाने के लिए अबतक कुछ भी सामने नहीं है। वकील धर्मेंद्र मिश्रा की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि सेंगर के इशारे पर जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने जानबूझकर पीड़िता के पिता का परीक्षण नहीं किया था। उन्नाव पीड़िता के पिता को तीन अप्रैल 2018 को गिरफ्तार किया गया था और नौ अप्रैल 2018 को न्यायिक हिरासत में उनकी मौत हो गई।