यूपी: गोरखपुर सहित 18 जिलों में अवैध वसूली का धंधा जोरों पर, जांच में कई एआरटीओ निशाने पर
सरकारी दफ्तरों से निकल कर के अब सड़कों पर ट्रकों से अवैध वसूली मे लिप्त एआरटीओ, परिवहन विभाग के सिपाही और कर्मचारी पर नकेल कसी जा रही है। इस बाच के सबूत एसआईटी की जांच में मिल रहे हैं।
भ्रष्टाचार को लेकर के सरकार गंभीर है और योगी सरकार की एक कोशिश है कि भ्रष्टाचार का यह मकड़जाल जितनी जल्दी हो सके जो कई सालों फैला है ,भ्रष्टाचार का साम्राज्य टूट जाए अब बारी है ऐसे ही आरटीओ ऑफिस से हो रहे धन उगाही जब ट्रक गुजरते हैं उन रास्तों से जो उनके जिलों में पडते हैं उनसे धन उगाही को लेकर के ए क एसआईटी बनाई गई और इसमें 18 जिले शामिल किए गए जहां पर ट्रकों से कितनी वसूली की जाती है इसकी जांच के आदेश दिए गए थे ।
ट्रकों की वसूली को लेकर के जांचों के जिलों के नाम इस तरह हैं- गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज ,बस्ती,संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर ,वाराणसी ,जौनपुर ,चंदौली ,गाजीपुर ,आजमगढ़ ,बलिया, मऊ, मिर्जापुर ,सोनभद्र ,भदोही और प्रयागराज।
इसमें जो मुख्य भूमिका जांच हो रही है वह है एआरटीओ जो कि प्रशासन के काम को देखता रहा है ।शुरुआती जांच में एसआईटी ने पाया कि यह उगाही एजेंटों के माध्यम से होता रहा है और इसमें बकायदा कमीशन फिक्स होता है अब तक की जांच के हिसाब से लगभग 5 फ़ीसदी कमीशन पर इन एजेंटों को रखा जाता है बाद में यह एजेंट एआरटीओ को उनके बताए हुए जगहों पर पैसा सौंप देते हैं। जो जानकारी निकल कर आ रही है कि हर ट्रक के रूट का कमीशन अलग अलग होता है ।वसूली अलग अलग होती है एक अनुमान के मुताबिक एक ट्रक से लगभग 1000 से ₹3000 प्रति चक्कर लिया जाता है ।एसआईटी की जांच पूर्वांचल के इन 18 जिलों में चल रही है कई एजेंटों के पूछताछ के दौरान कई अहम सबूत इनसे मिले हैं एसआईटी ने इन से बरामद रजिस्टर को उनके फोन रिकॉर्ड को इन सब को अपने कब्जे में किया है ।एसआईटी इस पूरे मामले में और तफ्तीश करने के लिए अब परिवहन विभाग के उन सिपाहियों से और दूसरे कर्मचारियों से पूछताछ होगी जो इस पूरे कड़ी में जुड़े हुए हैं ।
वैसे तो भ्रष्टाचार को लेकर के योगी सरकार में जीरो टॉलरेंस अपनाया हुआ है पर आरटीओ ऑफिस भ्रष्टाचार का एक बड़ा अड्डा हमेशा माना जाता रहा है ।चाहे वहां पर एजेंटों की तैनाती रही हो, लाइसेंस बनवाने की बात रही हो वरना खनन क्षेत्रों में अवैध ट्रकों का गुजरना इनसे वसूली करना, डग्गामार बसों का चलना और ट्रकों की आवाजाही पर कमीशन लेना यह एक आम भ्रष्टाचार का हिस्सा हो चुके थे ।इन सब की नकेल कसने की ये जांच है
दशकों से चल रहे हैं ये भ्रष्टाचार लेकिन इन पर कार्रवाई कभी नहीं हुई है एसआईटी की इस तरह की जांच से यह लगता है कि अगर भ्रष्टाचार आरटीओ ऑफिस के कामकाज पर प्रभावी हुई, तो आम जनता के साथ साथ अवैध ट्रांसपोर्टर को सड़क पर ,गैर कानूनी चलने वाली गाड़ियां इन सब पर लगाम लगेगी और कुल मिलाकर व्यवस्था कहीं बेहतर हो सकती है ।