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20 February 2020

उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में नहीं बढ़ेगी अंसल बंधुओं की सजा, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

File Photo

1997 में हुए उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में दोषी अंसल बंधुओं की जेल की सजा आगे नहीं बढ़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों के संगठन द्वारा दायर सुधारात्मक याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही क्यूरेटिव याचिका की खुली अदालत में मांग भी खारिज कर दी है। ये विचार सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस एन वी रमना और जस्टिस अरुण मिश्रा चेंबर में किया। सुप्रीम कोर्ट ने गोपाल अंसल की सजा बढ़ाने की मांग भी ठुकराई। दोषी सुशील अंसल की उम्र और बीमारी के चलते सजा माफ करने का फैसला बरकरार रखा है। अब अंसल बंधु आगे जेल नहीं जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने उपहार केस को दोबारा खोलने से इनकार कर दिया है।

बता दें कि 1997 में उपहार सिनेमा अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में सुशील अंसल को दोषी करार दिया गया था।

पीड़ितों की तरफ से दायर की गई थी क्यूरेटिव याचिका

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पीडितों ने सुप्रीम कोर्ट के 2016 के उस आदेश पर क्यूरेटिव याचिका दाखिल की है जिसमें पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई के बाद सुशील अंसल की उम्र और बीमारी के चलते जेल की सजा को माफ कर दिया था। जबकि गोपाल अंसल की एक साल की सजा को बरकरार रखा था। बता दें कि नवंबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गोपाल और सुशील अंसल को तीन महीने के भीतर 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा करने का निर्देश दिया गया था।

पिछली सुनवाई में क्या हुआ

इससे पहले उपहार अग्निकांड में दोषी करार दिए जाने के बाद भी रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल को पासपोर्ट जारी किए जाने पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को 31 मार्च तक रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे। पासपोर्ट जारी करने को लेकर एसोसिएशन ऑफ उपहार ट्रेजडी विक्टिम (एवीयूटी) की ओर से याचिका दायर की गई थी।

कैसे वीवीआईपी की तरह फास्ट टोकन के जरिए पासपोर्ट जारी किया गया?

याचिका में इस मामले में अधिकारियों की भूमिका सहित तमाम पहलुओं की सीबीआई जांच की मांग की गई थी। एसोसिएशन की चेयरपर्सन नीलम कृष्णमूर्ति ने सवाल उठाया कि आखिरकार दोषी करार देने के बाद भी अंसल को कैसे वीवीआईपी की तरह फास्ट टोकन के जरिए पासपोर्ट जारी किया गया।

वेरिफिकेशन के बिना एनओसी कैसे जारी कर दी गई?

इस मामले में विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई रिपोर्ट में कहा गया था कि सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही पासपोर्ट अधिकारी किसी भी स्थिति में एफ टोकन जारी कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि पासपोर्ट जारी करने से पहले और बाद में होने वाले वेरिफिकेशन के बिना एनओसी कैसे जारी कर दी गई।

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TAGS: Uphaar Tragedy, No Further, Jail Term, Ansal Brothers, SC Rejects, Curative Petitions
OUTLOOK 20 February, 2020
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