उत्तराखंड: फर्जी कोविड जांच रिपोर्ट की पड़ताल के लिए एसआइटी के बावजूद सियासी आरोप-प्रत्यारोप
इस कंपनी ने सैंपल तो खुद लिए लेकिन जांच दो अन्य लैब से करवाई। फर्जी नाम और मोबाइल नंबर से टेस्टिंग का कोटा पूरा किया गया। अधिकांश को कोरोना निगेटिव की रिपोर्ट दे दी गई। अहम बात यह भी है कि कुंभ के शुरुआती दिनों में ही यह साफ हो गया था कि कुछ गड़बड़ है क्योंकि हरिद्वार से आ रही संक्रमण दर की रिपोर्ट काफी कम थी। कोविड-19 के सरकारी आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली संस्था सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज के मुखिया अनूप नौटियाल कहते हैं कि कुंभ के पहले दिन यानी एक अप्रैल 2021 को हरिद्वार जिले की संक्रमण दर उत्तराखंड के 12 अन्य जिलों की तुलना में 75 फीसदी कम थी। दो अप्रैल को यह अंतर 20 और चार अप्रैल को 12 जिलों की तुलना में 85 फीसदी कम था। इसे लेकर मीडिया में खबरें आईं और हरिद्वार जिले की संक्रमण दर की सोशल ऑडिट की मांग भी उठी। लेकिन मेला या जिला प्रशासन के साथ ही स्वास्थ्य महकमे ने इसकी जांच की जहमत नहीं उठाई।
मामला देशभर में चर्चा का विषय बना तो हरिद्वार के सीएमओ ने एक एफआइआर कराई है। रैपिड एंटीजन टेस्ट के लिए सैंपल कलेक्शन का काम मैक्स कॉरपोरेट सर्विस को दिया गया था। सैंपल की जांच हिसार के नलवा लैबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और दिल्ली के डॉ. लाल चंदानी लैब से कराई गई। जांच में पाया गया कि 13 अप्रैल 2021 से 16 मई 2021 के बीच उक्त फर्म ने कुल 1,04,796 सैंपल लिए। इनमें संक्रमण दर महज 0.18 फीसदी पाई गई। यह संदेह पैदा करता है। एक ही नंबर 27198 सैंपल आइडी पर 73,551 सैंपल लेकर फर्जीवाड़ा किया गया। स्पष्ट है कि फर्जी एंट्री करके सरकारी धन के गबन की मंशा से गंभीर अपराध किया गया है।
उधर, इस मामले में सियासत भी शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि यह कोई लापरवाही नहीं, बल्कि गंभीर आपराधिक मामला है और दोषियों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा कायम होना चाहिए। दूसरी ओर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने आउटलुक से कहा कि कोविड-19 की जांच किसी कंपनी को सौंपने का प्रकरण उनके कार्यभार संभालने से पहले का है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कंपनी और लैब के खिलाफ तो एक्शन होगा ही, यह भी देखा जाएगा कि इस मामले में किसी अधिकारी के स्तर से कोई गड़बड़ी तो नहीं की गई है।