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22 October 2019

हत्या और गंभीर अपराध के अधिकांश आरोपियों को दोषी साबित करने में पुलिस नाकामः एनसीआरबी

देश की पुलिस अपराधों की रिपोर्ट दर्ज करने के मामले में तो आनाकानी करती ही है, जिन गंभीर अपराधों की रिपोर्ट दर्ज करके कानूनी कार्रवाई की जाती है, उनमें आरोपियों को सजा दिलाने में भी उसका रिकॉर्ड बहुत खराब है। तमाम तरह के अपराधों में जितने आरोपियों को सजा मिली, उससे कहीं ज्यादा आरोपी अदालतों से बरी हो गए। इस मामले में अदालतों की टिप्पणी पुलिस के खिलाफ ही रही है कि उसने केस को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश नहीं किया।

हत्या के 10 हजार से ज्यादा मामलों में आरोपी बच निकले

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार देश भर में पिछले वर्षों में दर्ज हत्या के केसों में से 7262 केसों में आरोपियों को दोषी ठहराया गया। 2017 के दौरान दर्ज हत्या के केसों में से 1084 केसों में ही आरोपियों को दोषी ठहराया जा सका। दोनों को मिलाकर कुल 8348 केसों में आरोपियों को दोषी ठहराया गया जबकि 10075 केसों में आरोपी दोषमुक्त साबित हो गए जबकि 946 केसों में सबूतों के अभाव में आरोपियों को छोड़ दिया गया। इसी तरह लापरवाही के चलते 24028 केसों में आरोपियों को दोषी ठहराया गया जबकि इससे दोगुने से ज्यादा 49270 मामलों में आरोपी दोष मुक्त हो गए या फिर छूट गए।

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एक्सीडेंट के केसों में भी बहुत कम आरोपियों पर दोष साबित

दुर्घटनाओं के मामलों में स्थिति और खराब है। वर्ष 2017 के दौरान दुर्घटनाओं के 14917 मामलों में आरोपियों को दोषी ठहराया गया जबकि 37 हजार से ज्यादा मामलों में आरोपी बच निकले। हिट एंड रन के 8187 मामलों में आरोपियों को दोषी ठहराया गया जबकि 10 हजार मामलों में आरोपी बच गए।

एसिड अटैक और यौन उत्पीड़न में भी स्थिति खराब

ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के खिलाफ होने वाले एसिड अटैक के 26 मामलों में आरोपियों को दोषी ठहराया गया जबकि 39 मामलों में आरोपी बच गए। यौन उत्पीड़न के 2692 मामलों में दोषी ठहराया गया जबकि 4700 से ज्यादा मामलों में आरोपी बच गए। डॉक्टरों द्वारा किए जाने वाले मेडिकल लापरवाही के 34 मामलों में आरोपी बचने में सफल हो गए जबकि सिर्फ पांच मामलों में आरोपी दोषी ठहराए गए। सड़क दुर्घटना और डॉक्टरों की लापरवाही के मामले में आमतौर पर पीड़ित पक्ष समाज के कमजोर वर्गों से होते हैं। इन वर्गों के अधिकांश पीड़ितों को न्याय दिलाने में पुलिस नाकाम रही है।

अधिकांश अपराधों में सजा दिलाने में पुलिस फेल

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 के दौरान पुलिस विभिन्न तरह के अपराधों में आरोपियों को दोषी साबित करने में विफल रही है। पुलिस हत्या के सिर्फ 43.1 फीसदी मामलों में ही आरोपियों को दोषी साबित कर पाई। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि 90.9 फीसदी मामले लंबित हैं यानी दस फीसदी से कम मामलों में ही कानूनी प्रक्रिया पूरी हो पाई। गैर इरादतन हत्या, लापरवाही के चलते मौत, सड़क दुर्घटनाओं के कारण मौत, हिट एंड रन, दहेज हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाने सहित अधिकांश अपराधों के मामलों में दोष सिद्ध होने का अनुपात 12 फीसदी से लेकर 45 फीसदी ही है। सुरक्षा जैसे मामूली अपराधों में ही दोष सिद्ध का अनुपात 50 फीसदी से ज्यादा है। इससे संकेत मिलता है कि आम जनता खासकर गरीबों और कमजोर वर्ग के आरोपियों पर ही आसानी से दोष सिद्ध होता है। अमीर और रसूख वाले आरोपियों पर अपराध साबित करने में पुलिस का रिकॉर्ड बहुत खराब है।

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TAGS: murder, heinous crime, police, hit and run, courts, NCRB
OUTLOOK 22 October, 2019
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