एनजीटी की तल्ख टिप्पणी, हरिद्वार से उन्नाव तक पीने और नहाने लायक नहीं है गंगा का पानी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने शुक्रवार को हरिद्वार से लेकर उन्नाव के बीच गंगा की स्थिति पर काफी तल्ख टिप्पणी की है। एनजीटी ने स्थित पर दुख जताते हुए कहा कि इन दोनों स्थानों के बीच गंगा का पानी पीने और नहाने के लायक भी नहीं है।
एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस एके गोयल के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा कि जब सिगरेट के पैकेट पर ‘स्वास्थ्य के लिए हानिकारक’ लिखा जा सकता है तो गंगा के पानी के लिए ऐसा क्यों नहीं लिखा जा सकता है। बेंच कि भोले-भाले लोग गंगा के प्रति सम्मान की वजह से उनसें नहा रहे हैं और इसका पानी पी रहे हैं। उन्हें यह भी पता नहीं है कि यह पानी उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। बेंच ने कहा कि लोगों के जीने के अधिकार को देखते हुए गंगा के पानी की शुद्धता के लिए नोटिस लगाए जाने चाहिए। एनजीटी ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमजीसी) को निर्देश दिया का कि वह हर सौ किलोमीटर के अंतर पर यह जानकारी वाला बोर्ड लगाए कि यहां गंगा का पानी पीने या नहाने के लायक है या नहीं।
इससे पूर्व एनजीटी ने 19 जुलाई को गंगा की सफाई के लिए किए जा रहे प्रयासों पर असंतोष जतात हुए कहा था कि स्थिति असाधारण रूप से खराब है और नदी की सफाई के लिए शायद ही कुछ प्रभावी काम किया गया हो। अधिकारियों के दावों के बावजूद गंगा के संरक्षण के लिए जो काम किए गए वे पर्याप्त नहीं हैं और स्थिति में सुधार के लिए नियमित निगरानी की जरूरत है।
इससे पहले एनजीटी ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमजीसी) को गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए हरिद्वार और उन्नाव के बीच नदी के तट से 100 मीटर के दायरे को गैर निर्माण जोन घोषित किया था। साथ ही नदी तट से 500 मीटर के दायरे में कचरा डालने पर रोक लगाने का निर्देश भी दिया था।