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26 October 2019

क्या होते हैं प्रदूषण कम करने वाले ग्रीन पटाखे, ऐसे करें इनकी पहचान

File Photo

दिवाली का मतलब होता है मिठाई, रौशनी और पटाखे लेकिन बढ़ते प्रदूषण के कारण अब पटाखों को लेकर तमाम तरह की बातें सामने आने लगी हैं। जहां धुएं वाले पटाखे प्रदूषण को बढ़ाते हैं वहीं इसका विकल्प भी अब मौजूद है और वह हैं ग्रीन पटाखे। ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज के मामले में सामान्य पटाखों जैसे ही होते हैं, लेकिन इन्हें जलाने पर प्रदूषण 30-40 फीसदी तक कम होता है। इन पटाखों को नेशनल इन्वाइरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट (NEERI) ने तैयार किया है। इन पटाखों का हरे रंग से नहीं बल्कि पर्यावरण से संबंध है इसीलिए इन्हें ग्रीन पटाखे कहते हैं।

कैसे पहचानें ग्रीन पटाखे

जहां आम पटाखों को जलाने पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली नाइट्रोजन और सल्फर जैसी गैसें ज्यादा निकलती हैं, वहीं ग्रीन पटाखों में ये कम मात्रा में निकलती हैं। इससे इन्वाइनमेंट को नुकसान कम पहुंचता है। इन्हें पहचानना हो तो इनके पैकेट पर QR कोड और ग्रीन पटाखे का स्टिकर होता है। साथ ही इनमें सल्फर की गंध नहीं होती।

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कहां से लें ये पटाखे

ग्रीन पटाखे होलसेल मार्केट से ले सकते हैं। वहां ये कम दाम में मिल जाएंगे। लोकल दुकानदार भी इन्हें बेच रहे हैं, लेकिन उनसे ये थोड़े महंगे मिलेंगे। 

तरह-तरह के पटाखे

पानी पैदा करने वाले पटाखे: ये पटाखे जलने के बाद पानी की बूंदें बनाते हैं, जिनमें सल्फर और नाइट्रोजन के कण घुल जाते हैं। इन्हें सेफ वाटर रिलीजर कहा जाता है। पानी से पलूशन कम करने में मदद मिलती है।

कम सल्फर, नाइट्रोजन और बेरियम वाले पटाखेः इन पटाखों को स्टार क्रैकर का नाम दिया गया है। इन्हें जलाने से सल्फर और नाइट्रोजन कम मात्रा में पैदा होती हैं। इन्हें खास तरह के केमिकल से तैयार किया जाता है।

अरोमा क्रैकर्सः इन पटाखों को जलाने से न सिर्फ नुकसानदेह गैसें कम पैदा होती हैं बल्कि ये बेहतर खुशबू भी बिखेरते हैं।

 

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TAGS: green crackers, traditional and green crackers
OUTLOOK 26 October, 2019
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