क्या है आईएनएक्स मीडिया घोटाला जिसमें पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम का है नाम
आईएनएक्स मीडिया घोटाले में अंतरिम जमानत के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसी के खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन (एसएलपी) दायर की। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चिदंबरम के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है।
दिल्ली हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद से ही उनकी गिरफ्तारी पर तलवार लटक रही है। अदालत के आदेश के कुछ घंटे बाद उनके आवास पहुंची सीबीआई की टीम को वह नहीं मिले। बुधवार सुबह फिर सीबीआई की टीम उनके आवास पहुंची। संभावना जताई जा रही है कि इस केस में सीबीआई और ईडी की टीम उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम की सड़क, वायु और समुद्र मार्ग से आवाजाही रोकने के लिए उनके खिलाफ नया लुकआउट सर्कुलर जारी किया है।
क्या है आईएनएक्स मीडिया मामला, कैसे आया चिदंबरम का नाम
पूरा मामला आईएनएक्स मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) से गैर कानूनी तौर पर मंजूरी दिलवाने से जुड़ा है। इसमें आईएनएक्स ने 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश हासिल किया था। जब साल 2007 के दौरान कंपनी को निवेश की स्वीकृति दी गई थी उस समय पी चिदंबरम वित्त मंत्री थे। चिदंबरम तब जांच एजेंसियों के रडार पर आए जब आईएनएक्स मीडिया के प्रमोटर इंद्राणी मुखर्जी और उनके पति पीटर मुखर्जी से ईडी ने पूछताछ की।
ये भी कहा जाता है कि इस केस में गड़बड़ी की आंच कार्ति चिदंबरम के जरिए तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम तक पहुंची और 15 मई 2017 में सीबीआई ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी में अनियमितताओं के चलते पहली एफआईआर दर्ज की। इसके बाद साल 2018 में प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनी लांड्रिंग मामले में केस दर्ज किया।
आईएनएक्स मीडिया केस में कब-कब क्या हुआ...
15 मई, 2017: सीबीआई ने पहली बार आईएनएक्स मीडिया केस में प्राथमिकी दर्ज की जिसमें आरोप था कि साल 2007 में 305 करोड़ रुपये की विदेशी धनराशि पाने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी पाने में अनियमितता बरती गई थी। उस समय कार्ति चिदंबरम के पिता पी चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे। आईएनएक्स मीडिया इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी से संबंधित कंपनी है।
16 जून, 2017: केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (FRRO) और ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन ने कार्ति चिदंबरम के खिलाफ एक लुक आउट सर्कुलर (LOC) जारी किया।
10 अगस्त, 2017: मद्रास उच्च न्यायालय ने कार्ति चिदंबरम और चार अन्य के खिलाफ जारी लुक आउट सर्कुलर (LOC) पर रोक लगा दी।
14 अगस्त, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने कार्ति चिदंबरम के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (LOC) जारी करते हुए मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
22 सितंबर, 2017: सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कार्ति चिदंबरम को विदेश यात्रा करने से रोका गया था क्योंकि वह सबूत नष्ट करने के लिए कथित तौर पर अपने कई विदेशी बैंक खातों को बंद कर रहे थे।
9 अक्टूबर, 2017: कार्ति चिदंबरम ने अपनी बेटी को एक विश्वविद्यालय में दाखिला दिलाने के लिए ब्रिटेन की यात्रा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी की मांग की। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह ब्रिटेन में किसी भी बैंक का दौरा नहीं करेंगे। पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार उनके और उनके बेटे के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित होकर प्रतिशोध ले रही है।
20 नवंबर, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने कार्ति चिदंबरम को बेटी के प्रवेश के लिए ब्रिटेन जाने की अनुमति दी।
8 दिसंबर, 2017: कार्ति चिदंबरम ने सीबीआई द्वारा एयरसेल-मैक्सिस डील मामले में उनके खिलाफ जारी समन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
16 फरवरी, 2018: कार्ति चिदंबरम के सीए एस भास्कररमन को भारत और विदेशों में उनकी संपत्ति का प्रबंधन करने में मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
28 फरवरी, 2018: कार्ति चिदंबरम को विदेश से आने के तुरंत बाद सीबीआई ने चेन्नई एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया और बाद में उन्हें दिल्ली लाया गया।
23 मार्च, 2018: कार्ति चिदंबरम को 23 दिन जेल में बिताने के बाद जमानत मिली।
25 जुलाई, 2018: उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी से पी चिदंबरम को अंतरिम राहत दिया।
11 अक्टूबर, 2018: ईडी ने आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भारत, ब्रिटेन और स्पेन में कार्ति चिदंबरम की 54 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की।
11 जुलाई, 2019: जेल में बंद इंद्राणी मुखर्जी गवाह बनने के लिए तैयार हो गईं और एक जज के सामने रखी शर्तों को स्वीकार कर लिया।
20 अगस्त, 2019: दिल्ली हाईकोर्ट ने पी चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी।