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25 March 2020

भूखे-प्यासे सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने के अलावा अब क्या करें, सरकार ने अनाथ छोड़ दिया

अक्षर धाम फ्लाईओवर के पास मेरठ-एक्सप्रेस-वे पर पैदल चल रहे सुनील को इतनी अनजान और बेरहम दिल्ली की सड़कें कभी नहीं लगीं थी। सालों से दिल्ली में रोजी-रोटी कमा रहे सुनील भूखे-प्यासे बवाना इंडस्ट्रियल एरिया से पैदल चलते हुए किसी तरह अपने परिवार के पास पहुंचना चाहते हैं। लेकिन महज 100 किलोमीटर दूरी पर बुलंदशहर में मौजूद उनका गांव, कभी न मिलने वाली मंजिल बन गया है।

लॉकडाउन के बाद ठेकेदार ने सुनील को वापस घर जाने के लिए कह दिया है। सितम यह है कि सरकारों के भरोसे के बावजूद उन्हें न तो ठेकेदार ने कोई पैसा दिया और न ही फैक्ट्री मालिक ने  पैसा दिया है। जल्द से जल्द घर पहुंचने की आरजू लिए पैदल चलने वालों में सुनील अकेले नहीं है, हाशिम, महेंद्र, जगदीश जैसे लाखों लोगों के सामने ऐसा ही संकट है।

 उन्हें समझ में नहीं आ रहा है, कि सरकार ने उनके घर पहुंचने का कोई इंतजाम क्यों नहीं किया ?  मासूमियत के साथ जगदीश पूंछते हैं कि सरकार दूसरे देशों में फंसे लोगों को तो अपने वतन में वापस ला रही है। तो हम क्या उसके नागरिक नहीं है। जब दिल्ली में सब कुछ ठप है। तो हम अपने घर वालों के पास नहीं जाए तो क्या करें।

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यह सवाल पूछने पर पसीने से लथपथ हाशिम भड़क जाते हैं कि जब डीटीसी की बसें चल रही हैं, तो उससे क्यों नहीं सफर किया, वह गुस्से में कहते हैं कि सुनी-सुनाई बातें मत करिए। बस वाले आईडी मांग रहे हैं, वह कह रहे हैं कि आपके लिए बसें नहीं चलाई जा रही है। असल में सरकार ने जरूरी सेवाएं देने वाले कर्मचारियों को असुविधा नहीं हो इसके लिए बसें चला रखी हैं। ऐसे में दिहाड़ी पर मजदूरी करने वाले ये गरीब मजदूर तो सरकार की कैटेगरी में फिट नहीं बैठते हैं।

इस बात की मजबूरी पुलिस वाले भी बयां करते हैं। महेंद्र कहते हैं, हमने तो पुलिस वाले से भी गुहार लगाई थी लेकिन उसने अपनी लाचारी जताते हुए यही कहा हम केवल यही कर सकते हैं कि पैदल तुम लोगों को जाने दे। तो अब हमारे पास चारा ही क्या है। अब एक दिन लगे या चार दिन लगे घर पहुंचने का यहीं एक मात्र रास्ता बचा है। बुरा यह है कि जो थोड़े बहुत पैसे हमारे पास बचे हैं, उससे भी कुछ खाने-पीने को नहीं मिल रहा है। सब दुकाने बंद है। तो क्या खाएं, लग रहा भूखे ही रहना पड़ेगा !

कोरोना के खिलाफ लड़ाई का एक दर्द भरा पहलू यह भी है। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या भारत सरकार को लोगों को थोड़ा समय नहीं देना चाहिए था। जैसा कि दक्षिण अफ्रीका में सरकार ने दो दिन पहले ही लॉकडाउन होने की जानकारी दे दी है। खैर वह समय तो अब निकल चुका है, आगे देखना है कि इस तरह फंसे लोगों के लिए आने वाले दिनों में सरकार क्या करती है ?

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OUTLOOK 25 March, 2020
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