बीएसएफ जवान तेजबहादुर से मिली पत्नी
न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ को दंपति की मुलाकात के बारे में जानकारी दी गई। पीठ ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह पति-पत्नी को उस शिविर में मुलाकात करने और दो दिन के लिए साथ रहने की इजाजत दे जहां यह सैनिक वर्तमान में तैनात है।
अदालत के आदेश का पालन करते हुए शर्मिला देवी अपने पति से मिलने गई थीं और वापस लौटकर उन्होंने अपने वकील के जरिए अदालत को बताया कि पति को खोजने के लिए उन्होंने जो याचिका दायर की थी उस पर कार्यवाही के लिए अब वह दबाव नहीं देना चाहती।
केंद्र और बल की ओर से पेश अधिवक्ता गौरांग कांत ने अदालत को बताया कि बीएसएफ के जवान तेज बहादुर सिंह के पास अब एक नया मोबाइल फोन है और उनके अपने परिजनों से बात करने पर कोई पाबंदी भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जवान को कभी भी किसी भी समय गैर कानूनी तरीके से कैद नहीं रखा गया था बल्कि उसे एक अन्य बटालियन, जम्मू के सांबा स्थित कालीबाड़ी में 88वीं बटालियन के मुख्यालय में तैनात कर दिया गया था।
इसके मद्देनजर पीठ ने याचिका का निबटान कर दिया और कहा कि अब यह प्रकरण खत्म हो चुका है। अगर आप (सरकार) औपचारिकताओं का पालन करते हुए ही चलते तो यह कभी खत्म ही नहीं होता। देखिए पत्नी अपने पति से मिल लीं और अब वह खुद इस मामले पर आगे नहीं बढ़ना चाहती हैं।
जवान की पत्नी ने अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी जिसके बाद उन्हें अपने पति से मिलने देने का निर्देश अदालत ने दिया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि उनके पति का कोई पता नहीं चल पा रहा है और परिवार उनसे संपर्क भी नहीं कर पा रहा है। हालांकि केंद्र और बीएसएफ की ओर से पेश वकील ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा था कि परिवार उनसे मिल सकता है और वह फोन के जरिए एक-दूसरे के संपर्क में हैं।
सरकार के दावे की आलोचना करते हुए पीठ ने कहा था कि यदि पत्नी को इस बात का भय है कि उनके पति को किसी किस्म का खतरा है तो उन्हें और उनके बेटे को जवान से मिलने की इजाजत दी जानी चाहिए। इसके बाद पीठ ने संबद्ध अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह महिला की अपने पति से मुलाकात के लिए हरसंभव व्यवस्था करे और जब वह उनसे मिलने के लिए वह वहां पहुंचे तो उन्हें कोई दिक्कत पेश नहीं आनी चाहिए।
गत नौ जनवरी को बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ने फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें दिखाया गया था कि जवानों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए थे। वीडियो में यादव ने आरोप लगाया था कि तैनाती वाले स्थानों मसलन पाकिस्तान से लगती नियंत्राण रेखा पर भी जवानों को इसी तरह का घटिया भोजन दिया जाता है जिसके चलते कई बार जवान भूखे पेट सोने को मजबूर हो जाते हैं। वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और बीएसएफ से इस मामले पर विस्तृत तथा तत्थ्यपरक रिपोर्ट मांगी थी।
दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की गई थी जिसमें सरकार को भोजन की गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए उच्चाधिकारियों को नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। इस याचिका के आधार पर उच्च न्यायालय ने बीएसएफ समेत विभिन्न अर्द्धसैनिक बलों को नोटिस जारी कर इस मामले में उनका पक्ष जानना चाहा था। अदालत ने बीएसएफ को जांच रिपोर्ट पेश करने और आरोपों के संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी देने का भी निर्देश दिया था। (एजेंसी)