सबरीमाला मंदिर में पुरुषों की तरह महिलाएं भी कर सकती हैं प्रवेशः सुप्रीम कोर्ट
केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि देश में निजी मंदिर का कोई सिद्धांत नहीं है और न ही पुरुष और महिला में किसी तरह का भेद नहीं है। पुरुषों की तरह महिलाएं भी मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं। इसमें उम्र की सीमा नहीं होनी चाहिए।
'सबरीमाला मंदिर कोई निजी संपत्ति नहीं'
संवैधानिक पीठ की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस ने कहा कि सबरीमाला मंदिर कोई निजी संपत्ति नहीं है। जो जगह सार्वजनिक हो, वहां वो किसी को जाने से नहीं रोक सकते हैं। संविधान भी पुरुषों और महिलाओं में बराबरी की बात करता है और महिलाओँ को मंदिर में जाने से रोकना संविधान की भावना के विपरीत होगा।
'सभी नागरिक किसी धर्म को अपनाने या प्रचार-प्रसार के लिए आजाद हैं'
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा सविंधान के अनुच्छेद 25 के तहत सब नागरिक किसी धर्म को अपनाने या प्रचार-प्रसार के लिए आजाद हैं। साफ है कि एक महिला के नाते प्रार्थना करने का अधिकार उसका संवैधानिक अधिकार है।
विरोध के बाद केरल सरकार ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का किया समर्थन
केरल सरकार का रुख महिलाओं के मंदिर में प्रवेश को लेकर बदलता रहा है। 2015 में सरकार ने महिलाओं के प्रवेश का समर्थन किया था लेकिन 2017 में विरोध जताया। लेकिन फिर से केरल सरकार ने महिलाओं के प्रवेश का समर्थन कर दिया। हालांकि केरल हाईकोर्ट ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश निषेध को सही माना था।
ये थी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश न करने को लेकर सदियों पुरानी परंपरा
परपंरा के मुताबिक, 10 से 50 साल तक की महिलाएं सबरीमाला मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। सबरीमाला मंदिर के पुजारियों ने केरल हाईकोर्ट में दलील दी थी कि यह परंपरा सदियों पुरानी है। उनका कहना था कि 50 साल की उम्र तक महिलाएं संतान पैदा कर सकती हैं जिसके कारण उन्हें मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई थी।