पहली बार 2021 की जनगणना में शामिल होगा पिछड़ी जातियों का आंकड़ा
केंद्र सरकार जनगणना के लिए पहली बार सेटेलाइट के जरिए से घरों की जानकारी इकट्ठा करने की योजना अपनाने पर विचार कर रही है। इस जनगणना में पहली बार पिछड़ी (ओबीसी) जातियों का आंकड़ा लिया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया तीन साल में पूरी की जाएगी।
केंद्र सरकार ने जनगणना 2021 की तैयारियां शुरू कर दी हैं। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जनगणना की प्रक्रिया शुरु करने से पहले समीक्षा बैठक बुलाई जिसमें विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि पहली बार इसमें पिछड़ी जातियों का आंकड़ा एकत्रित किया जाएगा।
तीन साल में पूरा होगा काम
समीक्षा बैठक में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने रोडमैप पर चर्चा की तथा इस बात पर जोर दिया गया कि डिजाइन और तकनीकी चीजों में सुधार किया जाए ताकि जनगणना करने के तीन साल के भीतर आंकड़ों को अंतिम रूप दे दिया जाए। अभी तक पूरे आंकड़े जारी करने में सात से आठ साल का समय लग जाता है। इस बड़ी कवायद के लिए 25 लाख से अधिक कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाता है।
पहले थी एक अरब 21 करोड़ आबादी
जनगणना में देश की करीब 1.30 अरब आबादी को कवर किया जाएगा। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक भारत की आबादी 1,210,854,977 थी। वहीं पिछली बैठक में बताया गया था कि अखिल भारतीय स्तर पर जन्म के पंजीकरण का स्तर 88 फीसदी और मृत्यु के पंजीकरण का करीब 76.6 फीसदी था।