बहुत रिस्की है मोटापा कम करने की सर्जरी
एक चौंकाने वाली स्टडी रिपोर्ट आई है जिसमें बताया गया है कि भारत में मोटापा या ओवरवेट की समस्या महामारी की तरह फैल रही है। लेकिन सबसे चिंताजनक बात ये है कि अब कम उम्र के लोग भी इसके शिकार हो रहे हैं। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दुनिया का हर आठवां मोटा आदमी भारतीय है। मतलब देश में आठ करोड़ लोग इस समस्या के शिकार हैं, इनमें करीब एक करोड़ लोग 5-19 आयुवर्ग के हैं। ये अध्ययन एनसीडी रिस्क फैक्टर कोलैबरेशन ने कराया है।
पुरूषों की तुलना में महिलाएं इस समस्या के प्रति ज्यादा संवेदनशील होतीं हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) के अनुसार 15-49 आयु वर्ग में 29.8 प्रतिशत पुरूष और 41.2 प्रतिशत महिलाएं ओवरवेट हैं। NFHS-4 की तुलना में ये काफी ज्यादा है जिसमें पुरुषों का प्रतिशत 22.9 और महिलाओं का 24 था। ये एक ऐसी समस्या है जो उच्च रक्तचाप, उच्च कोलस्ट्रोल, मधुमेह, स्ट्रोक और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है। इसलिए इसे नजरअंदाज करना खतरनाक होता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस समस्या से छुटकारा पाने के कई विकल्प हैं जिनमें सबसे अच्छा और आसान है खान पान और रहन सहन में सुधार। आजकल लोग मोटापा से मुक्ति पाने के लिए सर्जरी (बैरिएट्रिक) भी कराते हैं लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार इसके काफी साइड इफैक्ट्स होतें हैं।
मोटापा के मुख्य कारण खराब रहन सहन और अनियमित तथा अस्वस्थ खान पान हैं। रहन सहन में सुधार हृदय को स्वस्थ रखने वाले आहार और शारीरिक गतिविधियां बढ़ाकर इस समस्या से निपटने में आसानी होती है। लेकिन डायटिंग, व्यायाम और वजन कम करने वाली गोलियां जैसे पारम्परिक तरीके कई मामलों में सीमित नतीजे वाले होते हैं। इसलिए ज्यादातर सर्जन बैरिएट्रिक सर्जरी को बेहतर विकल्प मानते हैं बनिस्पत पारम्परिक तरीकों के क्योंकि ये निरंतर वजन कम करने और अच्छी सेहत की पेशकश करती है। इसे दीर्घकालिक समाधान माना जाता है।
बैरिएट्रिक सर्जरी के तहत दो श्रेणी आते हैं – प्रतिबंधक (रेस्ट्रिक्टिव) सर्जरी और कुअवशोषण (मालएब्जॉप्शन) सर्जरी। स्लीव गैस्ट्रेक्टमी एक प्रतिबंधक श्रेणी है जिसमें पेट का करीब 75-80 प्रतिशत हिस्सा हटा दिया जाता है जिससे भोजन लेने की मात्रा सीमित हो जाती है और दो साल में अतिरिक्त वजन का 60-70 पर्तिशत कम हो जाता है। सर्जरी एक ही चीरा लगाकर किया जाता है जो कम कष्टदायक और जल्दी आराम पहुंचाने वाला होता है।
दूसरी श्रेणी में Mini-Gastric Bypass और Roux-en-Y Gastric Bypass (RYGB) आते हैं। मिनी गैस्ट्रिक बाइपास प्रक्रिया को कारगर बनाता है, जटिलता को घटाता है और छोटी आंत के जरिये पेट में पतली नली बनाकर सर्जरी के समय को कम करता है। RYGB में पेट को दो भागों छोटी उपरी थैली और बड़ी नीचली थैली में बांट कर छोटी आंत के साथ दोनो को जोड़ा जाता है।
यहां ये जान लेना जरुरी है कि मोटापा कम करने के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी कराने से पहले इसके जोखिमो की जानकारी आवश्यक है क्योंकि इसके परिणाम व्यक्ति विशेष पर निर्भर करते हैं। इसमें खून का थक्का बनने का खतरा रहता है। कई मामलों में गहरे निशान पड़ जाते हैं। साथ में पोशाब की तकलीफ भी शुरू हो जाती है। कुछ मामलों में आंतों में गड़बड़ी के मामले भी हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ मरीज मानसिक समस्याओं, जैसे डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं।
जानकारी के अभाव में लोग सही एहतियात नहीं बरत पाते हैं। लोगों में सबसे बड़ा भ्रम कैलरी और न्यूट्रिशन को लेकर है। अगर कोई मालन्यूट्रिशन का शिकार है तो उन्हें लगता है कि ज्यादा कैलरी से ये समस्या ठीक हो सकती है। इस चक्कर में उनका वजन बढ़ता जाता है। अगर भोजन में कैलरी कम और न्यूट्रिशन ज्यादा रखी जाए तो ओवरवेट होने से बचा जा सकता है। अगर शरीर में विटामीन और आयरन जैसे तत्वों की कमी हो जाती है तब हारमोन्स असुंतिलित हो जाते हैं।
युवाओं में बढ़ती मोटापा की समस्या की तीन प्रमुख वजहें हैं। पहला, ये समस्या उन्हें अपने माता-पिता से मिलती है क्योंकि ये जेनेटिक होती हैं। इसे खान पान और व्यायाम से ठीक किया जा सकता है। दूसरा, ज्यादा खाना और अस्वस्थ आहार भी वजन बढ़ाने का काम करता है। बच्चों में ये आमतौर पर ज्यादा होता है क्योंकि वे जंक फूड ज्यादा खाते हैं।आजकल के बच्चों को घर का खाना पसंद नहीं। कई बार माता पिता भी उन्हें बाहर के खाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उनकी नींद तब टूटती है जब बच्चा मोटा हो चुका होता है। तबतक काफी देर हो चुकी होती है। जंक फूड एडिक्शन से निकला बहुत मुश्किल होता है।
लेकिन तीसरी वजह आजकल सबसे आम है। स्मार्ट फोन और सोशल मीडिया ने लोगों को आलसी बना दिया है। व्यायाम और शारीरिक मेहनत की बात तो दूर लोग अब ज्यादा चलना फिरना भी नहीं चाहते। लोग सामाजिक गतिविधियों से दूर हो गए हैं और बच्चे खेल के मैदान से। अब वे वर्चुअल खेल में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं। इन सब वजहों ने भारत को मोटापा के शिकार देशों में बहुत ऊपर कर दिया है। ये एक जटिल समस्या है इसलिए वजन कम करने के तरीकों को सम्पूर्णता से देखना होगा और सभी जोखिमों को जानना होगा। तभी हर तरह के साइड इफैक्ट्स से बचा जा सकता है। वैसे, बैरिएट्रिक सर्जरी की ओर लोगों का झुकाव बढ़ता जा रहा है।