यस बैंक संकट क्रोनी कैपिटलिज्म का सबसे खराब उदाहरणः सीपीआई (एम)
सीपीआई (एम) ने यस बैंक के संकट को "क्रोनी कैपिटलिज्म का सबसे खराब उदाहरण" बताया है तथा बैंक की विफलता के लिए भारतीय रिजर्व बैंक का समय पर हस्तक्षेप करने में हुई नाकामी को लेकर सवाल उठाए हैं। बता दें, यस बैंक के संकट में फंसने के बाद गुरुवार को इसका संचालन रिजर्व बैंक ने अपने हाथ में ले लिया है। इसने खाताधारकों के लिए एक महीने में 50 हजार रुपए तक की निकासी की सीमा तय कर दी है।
सीपीआई ने कहा कि मौजूदा आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च 2014 में बैंक का लोन 55,633 करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2019 में 2,41,999 करोड़ रुपए हो गया। बैंक वर्तमान सरकार के करीबी कॉरपोरेट्स को भारी कर्ज देने के बाद लेनदारी संकट तले दब गया। अनिल अंबानी जैसे कुछ कॉरपोरेट देनदारों को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा खराब वित्तीय हालात के बावूजद राशि दी गई।
आरबीआई ने नहीं की समय पर कार्रवाई
पार्टी की तरफ से कहा गया कि यस बैंक के पतन ने निजी बैंकों की कार्यप्रणाली, नियामक और समय पर हस्तक्षेप करने में भारतीय रिजर्व बैंक की विफलता जैसे कई सवाल खड़ा कर दिए हैं। यस बैंक मामला 'क्रोनी कैपिटलिज्म' का सबसे खराब उदाहरण है।
पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि भले ही प्रमोटर और बैंक के बोर्ड के बीच चल रही अनबन का कारण कुछ समय के लिए था, लेकिन आरबीआई ने समय पर कार्रवाई नहीं की जिससे जमाकर्ताओं के हितों को खतरा हुआ। पार्टी ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वर्तमान परिस्थिति के आधार पर कॉरपोरेट क्रोनिज्म का विनाशकारी प्रभाव अब छुपा हुआ नहीं है।
निकासी सीमा तत्काल रद्द हो
अब जब भारतीय स्टेट बैंक को यस बैंक में 49 प्रतिशत की हिस्सेदारी खरीदने के लिए कहा जा रहा है, तो यह जरूरी है कि बैंक राज्य के स्वामित्व वाला एंटरप्राइज बन जाए। यह मुनाफे के निजीकरण और घाटे के राष्ट्रीयकरण का मामला नहीं बन सकता है। सीपीआई (एम) ने कहा कि जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। आरबीआई को 50,000 रुपये की निकासी की सीमा को तत्काल रद्द करना चाहिए।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने रिजर्व बैंक से यह पता लगाने के लिए कहा है कि यस बैंक में क्या गलत हुआ और इसमें व्यक्तिगत स्तर पर जवाबदेही तय की जानी चाहिए।