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03 September 2022

स्वास्थ्य मंत्रालय ने देह-अंग दान के लिए राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत की, 60 से अधिक एनजीओ ने मिलाया हाथ

देश भर के 60 से अधिक एनजीओ और संगठनों ने मिलकर देश में अंग दान के लिए एक राष्ट्रीय अभियान शुरू करने का संकल्प लिया। लोगों में अंगदान के बारे में उपेक्षा को दूर करना इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है ताकि ज़रूरतमंद लोगों को समय पर अंग उपलब्ध कराकर उनका जीवन बचाया जा सके और वे फिर से सामान्य जीवन जी सकें।
‘स्वस्थ सबल भारत' सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने किया। इस अवसर पर उन्होंने अंग दान के बारे में जागरूकता की कमी पर विचार प्रस्तुत किए और आश्वासन दिया कि जल्द ही वे इस विषय पर पीएमओ के साथ बातचीत करेंगे, ताकि इस गंभीर मुद्दे को प्राथमिकता सूची में शामिल किया जाए।

मीडिया को सम्बोधित करते हुए उन्होंने दधीचि के प्रयासों की सराहना की और संगठन की 25वीं सालगिरह के मौके पर सदस्यों को बधाई दी। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘17 हज़ार से अधिक दानदाताओं, 353 देह दान, 870 आंखों के जोड़ों के दान, 6 अंग दान, दो अस्थि दान और तीन त्वचा दान के साथ दधीचि पहले से इस क्षेत्र में उदाहरण स्थापित कर चुका है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय अभियान की शुरूआत समय की मांग है जिसे सभी हितधारकों को सहयोग प्रदान करना चाहिए।" मनसुख मंडाविया, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री, श्री गंगा प्रसाद चौरसिया, राज्यपाल, सिक्किम, श्रीमती मीनाक्षी लेखी, विदेश राज्य मंत्री, डॉ हर्ष वर्धन, संसद सदस्य, श्री सुशील मोदी, संसद सदस्य तथा अन्य दिग्गजों की मौजूदगी में दधीचि ने अंग-दान पर ‘स्वस्थ सबल भारत’अभियान का औपचारिक ऐलान किया। नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित एक प्रेस सम्मेलन के दौरान आलोक कुमार, सीनियर एडवोकेट एवं संरक्षक ने दधीचि के इस अभियान की सराहना की।

दधीचि देह दान समिति के अध्यक्ष हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि 'हमारे देश में प्रार्थना के समय अक्सर कहा जाता है, ‘सर्वे भवंतु सुखिना, सर्वे संतु निरामाया' इसका अर्थ है सभी खुश रहें और सभी निरोगी रहें। आज देश के सभी हिस्सों से अंग दान के लिए काम करने वाले और अंगदान के बारे में जागरुकता बढ़ाने वाले संगठन यहां मौजूद हैं। यह स्वस्थ एवं सशक्त भारत के निर्माण की दिशा में हमारा एक प्रयास है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी इस बात का आश्वासन देती है कि इस अभियान को अंग दान के लिए काम करने वाले सभी संगठनों एवं अन्य सभी संस्थानों का पूरा समर्थन प्राप्त होगा।दिनभर चले 'स्वस्थ सबल भारत' सम्मेलन में स्वास्थ्य जगत के महत्वपूर्ण हितधारकों, एनजीओ एवं अन्य संगठनों ने भी हिस्सा लिया। इनमें मोहन फाउन्डेशन, ऑर्गन इंडिया, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, नोट्टो, ओआरबीओ, नेशनल नेत्र बैंक, अम्मा नेत्र ऑर्गन-बॉडी डोनेशन प्रोमोटर्स ऑर्गेनाइज़ेशन, फेडरेशन ऑफ ऑर्गन एण्ड बॉडी डोनेशन और नेत्र बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया शामिल थे।

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इस सत्र के दौरान, राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) ने भारत में अंग दान पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। उनकी रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में ब्रेन-डेड डोनर्स में तेजी से गिरावट आई है। 2019 में ब्रेन-डेड डोनर की संख्या 715 थी जो 2020 में घटकर केवल 315 रह गई। हालांकि 2021 में 552 पंजीकरण के साथ यह आंकड़ा बेहतर हुआ, फिर भी यह 2019 में बनाए गए रिकॉर्ड से बहुत कम था। ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) द्वारा उजागर की गई सबसे बड़ी चिंता अंग दान दर (ODR) में बहुत धीमी गति से सुधार पर है। 2013 में यह 0.27 थी और आठ साल की अवधि में इसमें मामूली ही वृद्धि हुई, यानी 2021 में ओडीआर 0.4 था। दधीचि द्वारा 'स्वस्थ सबल भारत' की शुरुआत करने का मूल कारण, ओडीआर में वृद्धि करना है।

देश के 21 राज्यों से तकरीबन 60 एनजीओ के साथ आयोजित विचार-मंथन सत्र के आधार पर एडवोकेट आलोक कुमार ने मनसुख मंडाविया को कई सुझाव दिए। इस सूची के बारे में बात करते हुए एडवोकेट कुमार ने कहा, ‘‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी के बिना अंग दान अभियान सफल नहीं हो सकता, इसमें सरकार को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इसलिए देश भर से 50 से अधिक एनजीओ के साथ विचार-मंथन सत्रों की एक श्रृंखला के बाद हम सरकार के लिए सुझावों की अंतिम सूची पर पहुंचे हैं। हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस दिशा में सकारात्मक काम करेगी।’

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TAGS: Health Ministry, Organ Donation, Mansukh Mandavia, NGO, Dadhichi foundation
OUTLOOK 03 September, 2022
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