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21 July 2025

सुप्रीम कोर्ट में तीखी नोकझोंक! CJI गवई ने जस्टिस वर्मा को 'वर्मा' कहने पर वकील को फटकारा

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने 21 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट में वकील मैथ्यूज जे नेडुमपारा को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को केवल "वर्मा" कहकर संबोधित करने पर कड़ी फटकार लगाई। नेडुमपारा ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने की मांग वाली अपनी तीसरी याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था। CJI गवई ने नाराजगी जताते हुए कहा, "क्या वह आपके दोस्त हैं? आप उन्हें कैसे संबोधित कर रहे हैं? कोर्ट में कुछ शिष्टाचार रखें। वह अभी भी एक संवैधानिक कोर्ट के जज हैं।" नेडुमपारा ने जवाब दिया, "यह याचिका खारिज नहीं हो सकती। FIR दर्ज होनी चाहिए। अब तो वर्मा भी यही चाहते हैं।" इस पर CJI ने कहा, "कोर्ट को निर्देश न दें।"

यह विवाद 14 मार्च 2025 को जस्टिस वर्मा के दिल्ली में लुटियंस क्षेत्र के आधिकारिक आवास पर आग लगने के बाद शुरू हुआ, जब वहां आधा जला हुआ नकदी का बड़ा जखीरा मिला। तत्कालीन CJI संजीव खन्ना द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों को स्टोररूम पर नियंत्रण रखने का दोषी पाया, जिसे गंभीर कदाचार माना गया। समिति ने महाभियोग की सिफारिश की, जिसके बाद जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित किया गया और उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया। नेडुमपारा की याचिका में दावा किया गया कि नकदी की बरामदगी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और मनी लॉन्ड्रिंग के तहत अपराध है, और दिल्ली पुलिस को FIR दर्ज करनी चाहिए थी।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले मार्च और मई 2025 में नेडुमपारा की दो याचिकाओं को खारिज किया था, यह कहते हुए कि उन्हें पहले केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को प्रतिनिधित्व देना होगा। कोर्ट ने 1991 के के. वीरास्वामी मामले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि किसी मौजूदा जज के खिलाफ CJI की अनुमति के बिना FIR दर्ज नहीं की जा सकती। नेडुमपारा ने इस फैसले की समीक्षा की मांग की। दूसरी ओर, जस्टिस वर्मा ने जांच समिति की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने समिति की सिफारिशों को रद्द करने की मांग की। केंद्र सरकार अब संसद के मानसून सत्र में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है।

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यह मामला न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही के सवाल उठाता है। CJI गवई ने नेडुमपारा को याचिका में खामियां दूर करने के बाद सुनवाई का आश्वासन दिया, लेकिन तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया।

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TAGS: CJI BR Gavai, Justice Yashwant Verma, Mathews J Nedumpara, cash dispute, Supreme Court, Allahabad High Court, MCOCA, prosecution, investigation, impeachment
OUTLOOK 21 July, 2025
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