मोदी सरकार की कार्रवाई, जबरन रिटायर किए गए आयकर विभाग के 12 आला अफसर
वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालते ही निर्मला सीतारमण ने सख्त फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। सोमवार को 12 वरिष्ठ अफसरों को वित्त मंत्रालय ने जबरन रिटायर कर दिया। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत वित्त मंत्रालय ने इन अफसरों को सरकार ने समय से पहले ही रिटायरमेंट दे दी है।
नियम 56 के तहत रिटायर किए गए ये सभी अधिकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर्स और कमिश्नर जैसे पदों पर तैनात थे।
इन अफसरों पर गिरी गाज
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, जिन अफसरों पर ये कार्रवाई की गई है उनमें से कई अफसरों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार, अवैध और बेहिसाब संपत्ति के अलावा यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप थे। इन 12 अधिकारियों में अशोक अग्रवाल (आईआरएस 1985), एसके श्रीवास्तव (आईआरएस 1989), होमी राजवंश (आईआरएस 1985), बीबी राजेंद्र प्रसाद, अजॉय कुमार सिंह, बी अरुलप्पा, आलोक कुमार मित्रा, चांदर सेन भारती, अंडासु रवींद्र, विवेक बत्रा, स्वेताभ सुमन और राम कुमार भार्गव शामिल हैं।
Finance Ministry Sources: 12 senior officers of ranks of Chief Commissioner, Principal Commissioners & Commissioner of Income Tax Department compulsorily retired under Rule 56 by the Finance Ministry. pic.twitter.com/rTXNIBgoUc
— ANI (@ANI) June 10, 2019
जानें क्या है नियम 56?
दरअसल, वित्त मंत्रालय रूल 56 का इस्तेमाल ऐसे अधिकारियों पर किया जा सकता है जो 50 से 55 साल की उम्र के हों और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। सरकार के जरिए ऐसे अधिकारियों को अनिर्वाय रिटायरमेंट दिया जा सकता है। ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-फॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है। सरकार के जरिए अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिए जाने का नियम काफी पहले से ही प्रभावी है।
कुछ और सरकारी अधिकारियों पर भी गिर सकती है गाज
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आने वाले वक्त में मोदी सरकार रूल 56 का इस्तेमाल करके और अधिकारियों को भी अनिर्वाय रिटायरमेंट दे सकती है। ऐसे में कुछ और सरकारी अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। वहीं भ्रष्टाचार, अवैध और बेहिसाब संपत्ति के आरोप लग चुके अधिकारियों पर आने वाले दिनों में भी रूल 56 का इस्तेमाल किया जा सकता है।
दरअसल, माना जा रहा है कि ऐसा करने के पीछे सरकार की मंशा आलसी और न के बराबर काम करने वाले अधिकारियों को सेवा से मुक्त करना है। सरकार ने खराब परफॉर्मेंस करने वाले अधिकारियों की लिस्ट भी बनाई है। वहीं अनिवार्य रिटायरमेंट दिए जाने से सरकार की इस प्रक्रिया के जरिए रोजगार में भी इजाफा होगा, क्योंकि सरकारी पद खाली होंगे तो उस पर भर्ती के लिए सरकार के जरिए रिक्तियां भी निकाली जाने की संभावनाएं है।