यमन से घर लौटे 190 भारतीय
यमन से निकाले गए 190 भारतीय नागरिकों को लेकर भारतीय वायुसेना का विमान मुंबई पहुंच गया है। संकटग्रस्त यमन में भारतीय नागरिकों को बचाने के लिए चलाए गए सरकार के पहले बड़े अभियान के तहत इन भारतीय नागरिकों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान आज तड़के यहां पहुंच गया। बचाए गए लोगों में भारतीय नर्सें और मजदूर शामिल हैं। भारतीय वायुसेना के विशेष विमान से यहां पहुंचते ही सप्ताहभर से चला आ रहा संकट समाप्त हो गया।
भारतीय वायुसेना का सी 17 ग्लोबमास्टर विमान भारतीय नागरिकों को लेकर तड़के करीब सवा तीन बजे शहर के अंतरराष्टीय हवाई अड्डे पर उतरा। बचाव अभियान के तहत यह दूसरी उड़ान थी। इससे पूर्व आधी रात के बाद दो बजे भारतीय वायुसेना का विमान यमन से 168 भारतीय नागरिकों को लेकर कोच्चि में उतरा था। रक्षा सूत्रों ने बताया कि बचाए गए लोगों से संबंधित कागजी कार्रवाई लंबित होने के कारण मुंबई आने वाला विमान जिबूती से समय पर उड़ान नहीं भर सका था क्योंकि कई लोगों के पास उनके पासपोर्ट नहीं थे। महाराष्ट्र के गृहनिर्माण, कामगार एवं खान मंत्री प्रकाश मेहता तथा सांसद किरीट सोमैया हवाई अड्डे पर लोगों की अगवानी करने के लिए मौजूद थे।
ये उन 350 भारतीयों में शामिल थे जो यमन के बंदरगाह शहर अदन से नौसेना के एक पोत द्वारा बचाए जाने के बाद जिबूती पहुंचे थे। केंद्रीय रेलवे ने इन लोगों को उनके गृह नगरों तक पहुंचने के लिए मुफ्त यात्रा सुविधा प्रदान करने की पेशकश की है। मध्य रेलवे केरल, चेन्नई और कोलकाता को जाने वाली गाडि़यों में अतिरिक्त कोच लगाएगा ताकि यमन से लौटे भारतीय नागरिक अपने घर आराम से पहुंच सकें। मध्य रेलवे के महाप्रबंधक सुनील कुमार सूद ने बताया, ‘हम केरल जाने वाली मंगला एक्सप्रेस, चेन्नई जाने वाली चेन्नई मेल और कोलकाता जाने वाली दुरंतो एक्सप्रेस में अतिरिक्त डिब्बे लगाएंगे ताकि लोग जल्द अपने घर पहुंच सकें।’ सूद ने बताया कि रेलवे ने आपात कोटे के तहत टिकट बुक कराने वाले सामान्य यात्रियों से अपील की है कि यदि बहुत आवश्यक न हो तो ऐसे यात्री अपनी यात्रा एक - दो दिन के लिए स्थगित कर दें ताकि उनके टिकटों का इस्तेमाल यमन से लौटे लोगों के लिए किया जा सके।
विमान के सह पायलट विंग कमांडर विक्रम एबी ने एजेंसी को बताया कि बचाव अभियान बेहद मुश्किल था क्योंकि भारतीय वायुसेना के पास विस्तृत ब्यौरा उपलब्ध नहीं था। एबी ने यह भी बताया कि विमान के चालक दल को बचाव अभियान के बारे में 30 मार्च को बताया गया और विमान ने कल भारत से उड़ान भरी थी। बचाई गई एक महिला मैरी एम्मा वर्गीज ने बताया, ‘मैं पिछले दो साल से अदन के एक अस्पताल में नर्स के तौर पर कार्यरत थी। एक दिन अचानक भारी धमाके की आवाज सुनी और इसके बाद मैंने काम पर जाना बंद कर दिया। सभी दुकानें बंद हो गईं थी और कई दिनों तक हमारे पास खाना भी नहीं था।’
विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि 350 लोगों में से 206 केरल के, 40 तमिलनाडु के, 31 महाराष्ट्र के , 23 पश्चिम बंगाल से और 22 दिल्ली से हैं। कुछ लोग अन्य राज्यों के भी हैं। भारतीयों को सोमवार की रात आईएनएस सुमित्रा पोत ने निकाला जो उस क्षेत्र में जलदस्यु विरोधी गश्त पर था और इसे वहां से बचाव अभियान के लिए रवाना किया गया। शहर में भारी लड़ाई छिड़ने के कारण इस पोत को लंगर डालने के लिए मंजूरी हासिल करने में कई घंटों का समय लगा। यमन से लौटी एक और नर्स फैजू ने बताया कि यमन का शहर सना गृहयुद्ध में लगभग पूरी तरह नष्ट हो गया है और लड़ाके बंदरगाह शहर अदन की ओर बढ़ गए हैं। सना में बतौर नर्स काम करने वाली फैजू ने बताया, ‘हमें वेतन भी नहीं दिया गया और हमसे अधिक घंटों तक काम कराया गया क्योंकि सभी स्थानीय नर्सें अस्पताल से चली गईं थीं। फैजू का अंदाजा है कि अदन में अभी भी करीब 300 भारतीय लोग फंसे हो सकते हैं।