कल से संसद में पक्ष-विपक्ष की भिड़ंत, तीन तलाक पर बिल ला सकती है सरकार
संसद का शीतकालीन सत्र कल यानी शुक्रवार से शुरू होने जा रहा है। पांच जनवरी तक चलने वाले इस सत्र के काफी हंगामेदार रहने की संभावना है। राफेल, अर्थव्यवस्था पर जीएसटी और नोटबंदी के प्रभाव, किसानों की दुर्दशा और धार्मिक असिहष्णुता के मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में है।
इस सत्र पर 18 दिसंबर के आने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर पड़ना भी तय है। यदि भाजपा जीती तो कांग्रेस के नए अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए चुनाव के दौरान उठाए गए मुद्दों पर भाजपा को घेरना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन, यदि गुजरात में कांग्रेस कामयाब रही तो विपक्षी पार्टी ऐसे मुद्दे उठा सकती हैं जो राजनीतिक तापमान बढ़ा सकते हैं।
सत्र से पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने गुरुवार शाम को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बैठक का उद्देश्य सदन का कामकाज सुचारू रूप से चलाने सहित विभिन्न अहम मुद्दों पर अलग-अलग राजनीतिक दलों के साथ चर्चा करना है। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष के साथ राजनीतिक दलों की चर्चा के बाद डिनर भी होगा। केंद्र सरकार ने भी आज एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
सत्र के दौरान सरकार तीन तलाक पर रोक सहित 14 नए बिल पेश कर सकती है। वस्तु एवं सेवा कर राज्यों को मुआवजा अध्यादेश के स्थान पर विधेयक लाने का प्रस्ताव है। यह अध्यादेश दो सितंबर को जारी किया गया था। इसके अलावा ऋण शोधन और दिवाला संहिता संशोधन अध्यादेश के स्थान पर भी विधेयक लाने का प्रस्ताव है। पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने वाले संविधान संशोधन विधेयक को दोबारा सरकार पेश कर सकती है।
चुनावों के कारण सत्र बुलाने में जानबूझकर देरी करने के विपक्ष के आरोपों के बाद सरकार ने 15 दिसंबर से सत्र बुलाने की घोषणा की थी। इस सत्र में कुल 14 बैठकें होंगी। आम तौर एक माह तक चलने वाला शीतकालीन सत्र नवंबर के अंतिम सप्ताह में शुरू होकर क्रिसमस से पहले समाप्त हो जाता है। पिछले साल शीत सत्र 16 नवंबर से 16 दिसंबर तक चला था। इस दौरान 22 बैठकें हुई थी।