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07 April 2020

कोविड-19 से असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ श्रमिक घोर गरीबी में जा सकते हैं: आईएलओ

File Photo

कोरोनावायरस के चलते लॉक डाउन से भारत के असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले करीब 40 करोड़ श्रमिकों की नौकरी और कमाई प्रभावित हो रही है। इस संकट से ये श्रमिक घोर गरीबी की स्थिति में जा सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही। इसके मुताबिक दुनिया के 330 करोड़ कामगारों में से 81 फ़ीसदी पूर्ण या आंशिक बंदी का सामना कर रहे हैं। गौरतलब है कि भारत में 25 मार्च से 21 दिन का लॉक डाउन है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अनुमान लगाया है कि 2020-21 में भारत की जीडीपी विकास दर घटकर सिर्फ 2 फ़ीसदी रह जाएगी।

भारत के 90 फ़ीसदी कामगार असंगठित क्षेत्र में हैं

आईएलओ के अनुसार कोविड-19 महामारी अनौपचारिक क्षेत्र के करोड़ों लोगों को प्रभावित कर रही है। भारत, ब्राजील और नाइजीरिया में अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले काफी है जो इस संकट से प्रभावित हुए हैं। भारत में करीब 90 फ़ीसदी लोग अनौपचारिक क्षेत्र में ही काम करते हैं। लॉक डाउन से इनकी आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है और यह लोग अपने गांव जाने को मजबूर हुए हैं।

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3 महीने में 6.7 फ़ीसदी वर्किंग आवर का नुकसान होगा

आईएलओ की रिपोर्ट में श्रम को होने वाले नुकसान के कुछ आंकड़े भी दिए गए हैं। इसके मुताबिक कोविड-19 महामारी से पूरी दुनिया में अप्रैल से जून 2020 के दौरान 6.7 फ़ीसदी वर्किंग आवर का नुकसान होगा। यह 19.5 करोड़ फुल टाइम कर्मचारियों के समान है। अरब देशों में यह नुकसान 8.1 फ़ीसदी (50 लाख पूर्णकालिक कर्मचारियों के बराबर), यूरोप में 7.8 फ़ीसदी (1.2 करोड़ पूर्णकालिक कर्मचारियों के बराबर) और एशिया प्रशांत क्षेत्र में 7.2 फ़ीसदी (12.5 करोड़ पूर्णकालिक कर्मचारियों के बराबर) होगा। इस संकट से सभी आय वर्ग के लोगों को नुकसान होगा लेकिन सबसे ज्यादा क्षति अपर मिडिल क्लास वाले देशों में होगी। उनकी आमदनी में 7 फ़ीसदी गिरावट आएगी जो 10 करोड़ पूर्णकालिक कर्मचारियों के बराबर होगा। आईएलओ के अनुसार यह संकट 2008 के वित्तीय संकट से भी ज्यादा गंभीर है।

इकरा का अनुमान, 2020-21 में सिर्फ 2 फ़ीसदी रहेगी भारत की विकास दर

लॉक डाउन के चलते भारत में ज्यादातर आर्थिक गतिविधियां इस समय बंद हैं। इसलिए रेटिंग एजेंसी इक्रा का अनुमान है कि जनवरी-मार्च 2020 के दौरान भारत की विकास दर 4.5 फ़ीसदी नेगेटिव रहेगी। इसके बाद स्थिति में सुधार आएगा लेकिन 2020-21 में विकास दर 2 फ़ीसदी तक ही पहुंच सकेगी। इक्रा के अनुसार कोविड-19 महामारी का घरेलू अर्थव्यवस्था में असर डिमांड में गिरावट, लोगों की क्रय शक्ति घटने, नौकरियां जाने और वेतन में कटौती के रूप में दिख सकती है। दूसरे देशों में भी पूर्ण या आंशिक लॉक डाउन की स्थिति है इसलिए तेल एवं गैस और मेटल जैसी वस्तुओं के निर्यात में गिरावट आएगी। रुपया बहुत कमजोर हुआ है इसलिए आयात पर निर्भर सेक्टर इससे प्रभावित होंगे।

कोविड-19 से सबसे ज्यादा और कम प्रभावित होने वाले सेक्टर

इक्रा के मुताबिक कोविड-19 महामारी से एविएशन, होटल-रेस्तरां, ज्वेलरी, रिटेल, शिपिंग, पोर्ट, पोर्ट सर्विसेज जैसे सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। ऑटोमोबाइल, बिल्डिंग मटेरियल, रेजिडेंशियल रियल एस्टेट पर मध्यम असर होगा। एजुकेशन, डेयरी प्रोडक्ट, फ़र्टिलाइज़र, एफएमसीजी और हेल्थकेयर सबसे कम प्रभावित होने वाले सेक्टर होंगे।

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TAGS: 400 million laborers, unorganized sector, extreme poverty with Covid-19, ILO
OUTLOOK 07 April, 2020
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