सर्व धर्म पूजा के साथ अंबाला एयर बेस पर औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल हुए पांच राफेल जेट
इंडियन एयरफोर्स के अंबाला एयरबेस में पांच राफेल लड़ाकू जेट विमानों के पहले बैच को औपचारिक रूप से गुरुवार को यानी आज भारतीय वायु सेना में शामिल हो गए। ऐसा तब किया गया है जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव जारी है।
इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उनके फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ली, रक्षा स्टाफ के प्रमुख जनरल बिपिन रावत, एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और रक्षा सचिव अजय कुमार समारोह का हिस्सा रहे। फ्रांस के साथ हुए समझौते के तहत राफेल फाइटर जेट की पहली खेप जुलाई में अंबाला एयरबेस पहुंची थी जिसमें 5 राफेल शामिल थे। फ्रांस की रक्षा मंत्री के साथ डिफेंस मैन्युफैक्चर इंडस्ट्री के कुछ प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
राफेल के लिए हुई सर्व धर्म पूजा
पांच धर्मों के धर्मगुरुओं ने राफेल को वायुसेना में पूरे पूजा पाठ के साथ शामिल कराया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, फ्रांस की रक्षा मंत्री, सीडीएस बिपिन रावत, एयरफोर्स चीफ भदौरिया इस मौके पर मौजूद रहे।
राफेल को वाटर कैनन से दी गई सलामी
अंबाला एयरबेस पर राफेल लड़ाकू विमान को वाटर कैनन से सलामी दी गई। सभी 5 राफेल विमान को दी गई सलामी। फ्लाईपास्ट के शुरू होने के साथ ही लड़ाकू विमान राफेल ने आसमान में करतब भी दिखाया। बता दें कि भारतीय वायुसेना में 5 राफेल लड़ाकू विमान शामिल हुए हैं।
हरियाणा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अंबाला वायुसेना स्टेशन पर राफेल विमानों के भारतीय वायुसेना में शामिल होने के कार्यक्रम में फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले को एक मोमेंटो भेंट किया।
इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा की मजबूती के पीछे हमारा उद्देश्य हमेशा से विश्व शांति की कामना रहा है और आज भी है। इस राह में हमारा देश कोई भी ऐसा कदम न उठाने के लिए प्रतिबद्ध है जिससे कहीं भी शांति भंग हो। ये ही अपेक्षा हम अपने पड़ोसी और दुनिया के बाकी देशों से भी करते हैं। उन्होनें कहा कि ये अपनी सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का भी एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ ने कहा कि आज राफेल का इंडक्शन पूरी दुनिया, खासकर हमारी संप्रभुता की ओर उठी निगाहों के लिए एक बड़ा और कड़ा संदेश है। हमारी सीमाओं पर जिस तरह का माहौल हाल के दिनों में बना या बनाया गया है उनके लिहाज से ये इंडक्शन बहुत ही अहम है। उन्होंने कहा कि हमारे मित्र देश फ्रांस के साथ राफेल डील भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में एक गेम चेंजर है। इसका लॉन्ग रेंज ऑपरेशन, अपने वजन के बराबर सामान और अतिरिक्त फ्यूल रखने की क्षमता और तेज स्पीड जैसी खूबियां इसे बेस्ट एयरक्राफ्ट में से एक बनाती हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि वायुसेना में राफेल का शामिल होना एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण है। राफेल का भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होना भारत और फ्रांस के बीच के प्रगाढ़ संबंधों को भी दर्शाता है। भारत और फ्रांस लंबे समय से आर्थिक,सांस्कृतिक, राजनीतिक,रणनीतिक साझेदार रहे हैं।
वहीं, फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले ने कहा कि आज हमारे देशों के लिए एक उपलब्धि है। साथ में हम भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों में एक नया अध्याय लिख रहे हैं।
इससे पहले वायुसेना के एक प्रवक्ता ने कार्यक्रम को बल के इतिहास का बेहद महत्वपूर्ण मील का पत्थर करार देते हुए कहा, 'कार्यक्रम के दौरान राफेल विमान का औपचारिक अनावरण किया जाएगा। इसके बाद पारंपरिक 'सर्वधर्म पूजा' की जाएगी और राफेल और तेजस विमान हवाई करतब दिखाएंगे। समारोह के बाद पार्ली और सिंह अंबाला में द्विपक्षीय रक्षा और सुरक्षा सहयोग को और गहरा करने के तरीकों पर बातचीत करेंगे। बता दें कि फ्रांसीसी एयरोस्पेस प्रमुख डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित राफेल जेट, हवाई-श्रेष्ठता और सटीक हमलों के लिए जाना जाता है।
राफेल विमानों का निर्माण फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने किया है। वायुसेना के प्रवक्ता विंग कमांडर इंद्रनील नंदी ने कहा कि राफेल विमानों को बल के 17वें स्क्वॉड्रन में शामिल करने से पहले उन्हें पानी की बौछारों से पारंपरिक सलामी दी जाएगी।
29 जुलाई को पहली खेप के तहत पांच राफेल विमान भारत लाए गए थे। भारत ने लगभग चार साल पहले फ्रांस से 59,000 करोड़ रुपये में 36 राफेल विमान खरीदने का सौदा किया था। चार से पांच राफेल जेट के दूसरे बैच के नवंबर तक भारत पहुंचने की संभावना है।
समारोह में फ्रांसीसी प्रतिनिधिमंडल में फ्रांसीसी दूत इमैनुएल लेनैन, एयर जनरल एरिक ऑटोलेट, फ्रांसीसी वायु सेना के उपाध्यक्ष, डसॉल्ट एविएशन के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी एरिक ट्रैपियर और मिसाइल निर्माता एमबीडीए एरिक एनांगर के सीईओ शामिल होंगे। अगले दो सालों में वायुसेना में राफेल के दो स्क्वाड्रन में 36 विमान शामिल होंगे। राफेल का पहला स्क्वाड्रन अंबाला में और दूसरा पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में होगा। राफेल अंबाला से पाकिस्तान पर और हाशिमारा से चीन पर नजर रखेगा।
साल 2016 में भारत सरकार ने फ्रांस सरकार के साथ 59,000 करोड़ रुपये में 36 राफेल खरीदने का फैसला किया था। विपक्ष और खासकर कांग्रेस ने इस सौदे पर सरकार पर आरोप लगाया था कि यह काफी मंहगा सौदा है। राफेल 4.5 जनरेशन के दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमानों में एक है। यह दो इंजन वाला मल्टी रोल एयरकाफ्ट है। यह एक ऐसा एयरक्राफ्ट है जो एक ही उड़ान में कई मिशन को अंजाम दे सकता है। राफेल में मेटेओर मिसाइल लगी हैं। यह 150 किलोमीटर तक हवा से हवा में मार करने वाली दुनिया की घातक मिसाइलों में से एक है। इसमें स्कैल्प मिसाइल भी लगी है जो हवा से जमीन पर मार करने के लिए है। यह 300 किलोमीटर तक दुश्मन के घर में घुसकर मार करने में सक्षम है। तीसरी मिसाइल मीका है, जो हवा से हवा में मार करती है। इसकी रेंज है करीब 80 किलोमीटर। साथ में इसमें खतरनाक हैमर मिसाइल भी है जो हवा से जमीन पर 60 किलोमीटर तक हमला कर सकती है।
राफेल की रफ्तार 2,130 प्रतिघंटा है। यह रडार को चकमा देने में माहिर है। यह दूर से ही दुश्मन पर बाज की तरह नजर रख सकता है। एक मिनट में 60 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। यह 24500 किलोग्राम तक का वजन ले जाने में सक्षम है। यह परमाणु हमला भी कर सकता है। राफेल चीन के जे 20 और पाकिस्तान के एफ 16 से कहीं आगे है। इसके मुकाबले में यह दोनों विमान कहीं नहीं ठहरते। राफेल अफगानिस्तान और लीबिया में अपनी ताकत दिखा चुका है। बड़ी बात ये है कि भारतीय वायुसेना की जरूरत के मुताबिक विमान में फेरबदल भी किए गए हैं। सटीक मारक क्षमता और अत्याधुनिक मिसाइलों से लैस राफेल की टक्कर का कोई विमान आसपास नहीं है। इस वजह से कोई भी इससे टकराने से पहले कई बार सोचेगा।
इन हथियारों से लेस रहेगा राफेल विमान
राफेल लड़ाकू विमानों को जिन हथियारों से लेस किया जाएगा उनमें मेटयोर मिसाइल, स्कैल्प क्रूज मिसाइल और एमआईसीए हथियार प्रणाली शामिल है। इसके अतिरिक्त वायुसेना राफेल लड़ाकू विमानों का साथ देने के लिए मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली, हवा से जमीन पर वार करने में सक्षम अत्याधुनिक हथियार प्रणाली ‘हैमर’ भी खरीद रही है। हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्स्टेंडेड रेंज) लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली क्रूज मिसाइल है, जिसका निशाना अचूक है और इसे फ्रांस की रक्षा कंपनी सैफरॉन ने विकसित किया है।