30 जुलाई को निर्वासित होंगे असम में बंद 52 बांग्लादेशी शरणार्थी
असम में 52 बांग्लादेशी घुसपैठियों की नागरिकता की पुष्टि करते हुये बांग्लादेश सरकार ने इनके निर्वासन दस्तावेज जारी कर दिये हैं।
केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह जानकारी दी। असम सहित अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न बंदी शिविरों में रखे गये घुसपैठियों को वापस लेने पर बांग्लादेश सरकार की सहमति से जुड़े सवाल के जवाब में रिजिजू ने बताया ‘‘हाल ही में बांग्लादेश सरकार ने असम के बंदी शिविरों में बंद 52 बांग्लादेशी नागरिकों की राष्ट्रीयता को सत्यापित कर इनके निर्वासन दस्तावेज जारी किये हैं।’’
उन्होंने बताया कि असम सरकार को इनके निर्वासन की प्रक्रिया को यथाशीघ्र पूरा करने का परामर्श दिया गया है। रिजिजू ने बताया कि निर्वासन प्रक्रिया पूरी होने पर आगामी 30 जुलाई को एक अल्पसंख्यक सहित 52 घुसपैठियों को निर्वासित कर वापस बांग्लादेश भेजा जायेगा।
उन्होंने बताया कि पिछले दो सालों 2016 और 2017 में कानूनी प्रक्रिया के तहत असम के बंदी कैंपों में निरुद्ध 39 बांग्लादेशी नागरिकों को निर्वासित किया जा चुका है।
रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या से निपटने के लिये बांग्लादेश और म्यांमा सरकार के साथ भारत सरकार की बातचीत से जुड़े पूरक प्रश्न के जवाब में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की इस मामले में बांग्लादेश के विदेश मंत्री के साथ चर्चा हुयी है। उन्होंने बताया कि इस बीच सभी राज्य सरकारों को भी रोहिंग्या घुसपैठियों की शरणार्थियों से अलग पहचान करने के लिये परामर्श जारी किया गया है।
इसमें राज्य सरकारों से कहा गया है कि वे इनकी गणना कर बायोमीट्रिक पहचान सुनिश्चित करते हुये यह सुनिश्चित करें कि इनके पास राशन कार्ड सहित ऐसा कोई दस्तावेज न हो जिसके आधार पर ये भारत की नागरिकता का दावा कर सकें। सिंह ने कहा कि पहचान प्रक्रिया पूरी होने के बाद राज्य सरकारों से मिलने वाली रिपोर्ट को विदेश मंत्रालय के सुपुर्द कर दिया जोयगा। इसके बाद विदेश मंत्री म्यामां सरकार और जरूरत पड़ने पर बांग्लादेश सरकार के साथ बातचीत कर रोहिंग्या घुसपैठियों की वापसी सुनश्चित करेंगी।
एक अन्य पूरक प्रश्न के जवाब में रिजिजू ने बताया कि विदेशी विषयक अधिनियम 1946 के तहत इनकी पहचान कर इन्हें निर्वासित करने की शक्ति राज्य सरकारों को भी दी गयी है। इस समय भारत में अवैध रूप से घुपपैठ कर आये रोहिंग्या समुदाय के लोग जम्मू कश्मीर, हरियाणा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली और जयपुर में रह रहे हैं।